विंबलडन में इस बार विक्टर ट्रियोचकि का चेयर अंपायर के साथ हुई बहस का वीडियो काफी चर्चा का विषय बन गया था। हुआ यह था कि उनके मैच में उनकी सर्विस पर ब्रेक पॉइंट पर लाइन अंपायर के कॉल को बदलते हुए चेयर अंपायर ने अपना फैसला सुनाया। और जिस कोर्ट पर यह मैच हो रहा था वहां हॉक ऑय सिस्टम नहीं लगा हुआ है। इस वजह से इस फैसले को चैलेंज भी नहीं किया जा सकता था और यही वजह विक्टर को गुस्सा दिला गई।
2006 से विंबलडन में सेंटर कोर्ट और नंबर 1 कोर्ट में इसको लगाया गया था। उसके बाद से पिछले साल से कोर्ट नंबर 2, 3, 12 और 18 में भी इसका इस्तेमाल शुरू किया गया है और बाकी बचे हुए कोर्ट्स पर चेयर अंपायर का ही फैसला आखिरी होता है।
रूफस का खुद का पास भी बना हुआ है। हेमिश हॉक से रूफस ने यहां की कमान संभाली थी और इस साल उसका साथ देने पोलक्स बाज भी आ गया है, जो कि रूफस की तरह कैमरों से सहज नहीं है और कैमरा होने पर वो कहीं दूर ही जाकर बैठता है। शायद रूफस और समय उसको इसकी आदत जरूर डलवा देंगे।