मन के हारे हार है

मयंक मिश्रा

गुरुवार, 7 जुलाई 2016 (15:55 IST)
विंबलडन के सेंटर कोर्ट पर कल (बुधवार को) दो मैच हुए। पहले मैच में फेडरर पहले दो सेट  हारने के बाद भी जीत गए थे, वहीं दूसरे मैच में सोंगा भी फेडरर की राह पर चलते हुए दो सेट  से पिछड़ने के बाद बराबरी तो कर पाए, मगर आखिरी सेट में फेडरर की कामयाबी दोहरा नहीं  सके। इन दोनों मैचों का अंजाम एक जैसा हो सकता था अगर सोंगा के पास फेडरर जैसी  मानसिक तनाव झेलने की क्षमता होती। 
सोंगा पहले सेट में काफी बढ़िया खेले, मगर अपनी सर्विस पर आसान शॉट नहीं खेल पाए और  उन्होंने सेट जीतने का मौका गंवा दिया था। बस, इसके बाद से पहला सेट हारने के बाद सोंगा  ने दूसरे सेट में मरे के लिए कोई मुश्किल नहीं खड़ी की। दूसरे सेट में सोंगा अगर खुद को  संभाले रखते तो मैच का परिणाम कुछ और हो सकता था। 
 
मगर सोंगा ने दूसरा सेट गंवाकर खुद के वापसी की राह मुश्किल बना ली थी और वे इसी दबाव  और तनाव में मैच हार गए। यह विंबलडन में सोंगा की 5 सेटों तक चले मैचों में पहली हार है।
 
एंडी मरे के अनुसार लैंडल के वापस उनके कोच बनने के बाद जो सबसे बड़ा बदलाव उनमें  आया है, वो यह कि अब वे तनाव में बड़बड़ाकर और अपनी टीम पर गुस्सा होकर अपनी ऊर्जा  बर्बाद नहीं करते। जो चीज मोरेस्मो नहीं सुधार पाई थीं, लैंडल ने सुधार दी। 
 
मगर कल पहले सेट में सोंगा के हावी होने के समय और फिर तीसरे सेट से आखिरी सेट की  शुरुआत तक मरे फिर से अपनी टीम पर कम तालियां बजाने को लेकर गुस्सा दिखाई दिए,  साथ ही कुछ खराब अंपायरिंग के चलते भी मरे नाराज थे, मगर इसके बावजूद उन्होंने खुद को  संभाल लिया। जब ऐसा करने की सख्त जरूरत थी, क्योंकि खेल शारीरिक से ज्यादा मानसिक  होने लगा था। 
 
सोंगा के साथ कल सिर्फ 6 लोग ही प्लेयर बॉक्स में मौजूद थे, वहीं मरे का प्लेयर बॉक्स  खचाखच भरा था। साथ ही जब मरे को दर्शकों का सपोर्ट मिलना पहले से ही तय था तो शायद  सोंगा के परिवार या दोस्तों में से और लोगों का मौजूद होना सोंगा के लिए मुश्किल घड़ियों में  जरूर काम आता। 
 
मगर हो सकता है, सोंगा फेडरर की तरह अपने परिवार वालों के सामने खेलने में थोड़ा डर  महसूस करतें हों। फेडरर ने कल बताया कि पहले उनको अपने घर वालों के सामने खेलने में  दिक्कतें होती थीं, फिर किसी सेलिब्रिटी के सामने और अब उनको टेनिस के महान खिलाड़ियों  के सामने खेलना थोड़ा नर्वस कर देता है जिनके सामने खेलते हुए वे खुद को और अच्छा करने  के प्रेरित करते रहते हैं। कल के मैच में फेडरर ने अपने खेल से ज्यादा अपनी जीवटता से इन  महान खिलाड़ियों को भी खुश कर दिया होगा, 8 में से 7 ब्रेक पॉइंट बचाते हुए जिनमें से 3  मैच पॉइंट थे। 
 
फेडरर ने चिलिच को वैसे ही तोड़ दिया था। चिलिच ने मैच की शुरुआत धमाकेदार तरीके से  की। उनकी तेज सर्विस फेडरर को खासी मुश्किलें दे रही थीं, मगर चिलिच के लिए ऐसा खेल 5  सेट तक बनाए रखना मुश्किल ही था और जब चिलिच के खेल का स्तर थोड़ा नीचे आया तो  फेडरर ने अपने खेल में सुधार लाते हुए सही मौकों पर चिलिच से पॉइंट्स जीतकर मैच अपने  नाम कर लिया। 
 
फेडरर को अब सेमीफाइनल में राओनिच से खेलना है जिन्होंने कल जोकोविच को हराने वाले  सैम क्वेरी को हराया। चिलिच से ज्यादा खतरनाक सर्विस राओनिच की है, मगर फेडरर के  खिलाफ उनको इसके अलावा और भी शॉट्स की जरूरत पड़ेगी, वहीं मरे अब बर्डीच से खेलेंगे  जिन्होंने लुकास को हराया।
 
मुश्किल से ही मुस्कराने वाले बर्डीच कल लुकास को हराने के बाद हंसते हुए दिखाई दिए। वैसे  मुस्कराने की वजह लुकास के पास भी थी, क्योंकि यहां क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे लुकास को  खुद से यहां सिर्फ एक मैच ही जीतने की संभावना थी।
 
आज सेरेना और वेस्नीना के बीच पहला सेमीफाइनल खेला जाना है। यह मैच भारतीय समय  के हिसाब से 5.30 बजे शुरू होना है। इस मैच के बाद वीनस और कर्बर के बीच दूसरा  सेमीफाइनल होगा। और यह कहने की शायद जरूरत नहीं है कि दोनों मैचों में किसके जीतने की संभावनाएं ज्यादा है।

वेबदुनिया पर पढ़ें