24 वर्षीय बजरंग ने कहा, 'मैं स्वर्ण के करीब पहुंच कर भी चूक गया। फाइनल में पहुंचने के बाद मुझे स्वर्ण जीतने की उम्मीद थी लेकिन मुझे रजत पदक से संतोष करना पड़ा। हालांकि मुझे इस बात की खुशी है कि मैंने 5 साल पहले यहीं पर जीते कांस्य पदक को इस बार रजत पदक में बदल दिया।'
राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता बजरंग को सोमवार को खेले गए फाइनल में मौजूदा कैडेट विश्व चैंपियन जापान के ताकुतो ओतोगुरो से कड़े संघर्ष में 9-16 से हारकर रजत पदक से संतोष करना पड़ा। इस हार के बावजूद भारतीय पहलवान ने इस तरह एक साल में राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में स्वर्ण और विश्व चैंपियनशिप में रजत जीतने का इतिहास बना दिया।
भारतीय कोच जगमिन्दर सिंह थोड़े निराश नजर आए लेकिन उन्होंने बजरंग के ओवरआल प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा, 'हमें पूरी उम्मीद थी कि बजरंग स्वर्ण जीतेंगे लेकिन शायद भारत का दिन नहीं था। इसके बावजूद विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक एक बड़ी उपलब्धि है। बजरंग ने पूरे सत्र में शानदार प्रदर्शन किया और दो बड़े स्वर्ण के साथ विश्व चैंपियनशिप में रजत भी जीता। ऐसा ही प्रदर्शन हर पहलवान का सपना होता है।'
सोनवा तानाजी 61 किग्रा वर्ग के रेपचेज में पहुंचे लेकिन उन्हें मंगोलिया के तुवशिंतुलगा तुमेनविलेग से 0-7 से हार का सामना करना पड़ा। भारत के 7 अन्य पहलवान जितेंदर (74), पवन कुमार (86), संदीप तोमर (57), सचिन राठी (79), दीपक (92) पंकज राणा (70) और मौसम खत्री (97) पदक राउंड में नहीं पहुंच पाए।