योगेश्वर ने झुंझुनूं जिले के पिलानी के बिट्स में आयोजित सालाना खेल महाकुंभ बोसम के शुभारंभ पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि खिलाड़ी जब मैडल जीतते या फिर अपना लोहा मनवाते हैं तो सहायता देने वालों की लाइन लग जाती है। असल में सरकार को सब जूनियर स्तर से ही सहायता उपलब्ध करानी चाहिए ताकि गांव की प्रतिभा गांव में ही दबकर नहीं रहे और आगे बढ़ सके।
उन्होंने कहा कि देश में इतने अच्छे खिलाड़ी गांवों से निकलकर आए है। इसके बावजूद गांवों में आज भी सुविधाओं का अभाव है। उन्होंने खुद के प्रदर्शन पर कहा कि वह कोशिश कर रहे है कि अगले ओलंपिक में देश के लिए खेलें। उन्होंने हरियाणा में एकेडमी खोली है और 200 से अधिक खिलाडिय़ों को तैयार कर रहे हैं। उनका सपना है कि देश में ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी तैयार किए जाए।
उन्होंने कहा कि कुश्ती का पहलवान चमक-धमक से दूर रहे उतना ही अच्छा है। अन्य खेलों की तरह यदि पहलवान भी चमक-धमक में आ जाए तो वह खेल नहीं सकता। बोसम के तहत चार दिनों तक लगातार खेलकूद प्रतियोगिताएं होगी, जिसमें देश के यूनिवर्सिटी और कॉलेज के हजारों विद्यार्थी हिस्सा ले रहे हैं।