छह साल बाद चैंपियंस ट्रॉफी हॉकी में वापसी करने वाली भारतीय टीम लंदन ओलिंपिक की कड़वीं यादों को भुलाकर शनिवार को यहां इंग्लैंड के खिलाफ शुरुआती मुकाबले में शानदार प्रदर्शन करने के इरादे से मैदान पर उतरेगी लेकिन उसे टूर्नामेंट में कड़ी चुनौती का सामना करना होगा।
वर्ष 2005 के बाद भारत पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी में वाइल्ड कार्ड आमंत्रण के जरिए वापसी कर रहा है और टीम इस बात से भली-भांति वाकिफ है कि स्टेट हॉकी सेंटर में उसके प्रदर्शन पर सभी की निगाहें लगी होंगी।
लंदन ओलिंपिक के बाद चैंपियंस ट्रॉफी भारतीयों के लिए पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट है। टीम ने ऑस्ट्रेलिया में ही इससे पहले पर्थ में 9 खिलाड़ियों वाली अंतरराष्ट्रीय सुपर सिरीज में भाग लिया था।
भारतीय टीम को पर्थ में इस सुपर सिरीज के लीग मुकाबले में पाकिस्तान पर 5-2 से एकमात्र मुकाबले में जीत मिली। लेकिन पाकिस्तान ने कांस्य पदक के प्ले ऑफ मुकाबले में इसी समान स्कोर से जीत दर्ज कर तीसरा स्थान हासिल किया जिससे भारतीय टीम 4 देशों के टूर्नामेंट में निचले पायदान पर रही।
चैंपियंस ट्रॉफी में खेलने का मौका गंवाने के एक साल बाद भारत को वाइल्ड कार्ड का दर्जा मिला है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ ने भारतीय हॉकी में संचालन के मुद्दों का हवाला देते हुए नई दिल्ली से इस टूर्नामेंट की मेजबानी को हटाकर ऑकलैंड को दे दिया था। (भाषा)