देर से ही सही, बदलेगी मानसिकता

रविवार, 7 सितम्बर 2008 (22:39 IST)
क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों को बढ़ावा देने के लिए देशवासियों की मानसिकता को बदलने में अभी कुछ वक्त लगेगा। यह बात पूर्व हॉकी कप्तान धनराज पिल्लै ने रविवार को कही।

यहाँ गेटवे ऑफ इंडिया पर आयोजित राष्ट्रमंडल युवा खेलों की मशाल रिले दौड़ में भाग लेने के बाद पिल्लै ने कहा बीजिंग ओलिम्पिक में निशानेबाज अभिनव बिंद्रा, मुक्केबाज विजेन्दर कुमार और पहलवान सुशील कुमार की सफलता इस बात का संकेत है कि भारतीय युवाओं का भविष्य उज्जवल है। लोग अब इस बात को समझने लगे हैं कि देश में प्रतिभाओं का भंडार है। जरूरत उन्हें तलाशने और तराशने की है। राष्ट्रमंडल युवा खेल इस साल अक्टूबर में पुणे में होंगे।

पूर्व ओलिम्पियन ने कहा हमारे पास कई ऐसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, जो देश के लिए 25 से 50 पदक तक बटोर सकते हैं, लेकिन उनके पास अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए सुविधाओं का अभाव है। वे आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं और न ही उन्हें सरकार की ओर से मदद मिल रही है।

क्रिकेट को छोड़ दें तो देश में किसी भी खेल को बढ़ावा नहीं दिया गया, लेकिन मुझे लगता है कि बीजिंग में हमारे युवाओं की महत्वपूर्ण उपलब्धियों से सबक सीखकर सरकार और अभिभावकों को खेल पर ध्यान देना चाहिए, ताकि देश में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को सामने लाया जा सके।

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