केंद्र सरकार ने लंबे इंतजार के बाद नई खेल नीति तैयार कर ली है, जिसे इस महीने मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल को भेजा जाएगा।
केंद्रीय खेलमंत्री मणिशंकर अय्यर ने बताया कि देश में नई खेल नीति बनाने की आवश्यकता काफी लंबे समय से महसूस की जा रही थी। काफी प्रयासों के बाद नई खेल नीति के मसौदे को अंतिम रूप दिया जा चुका है और अगले महीने के शुरू में इसे मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल को सौंप दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि नई खेल नीति में देश में खेल के सर्वांगीण विकास से जुड़े़ सभी पहलुओं पर ध्यान दिया गया है। नई खेल नीति के बारे में अय्यर ने कहा कि इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि अब तक शहरों से ही खिलाड़ी निकलकर आते रहे हैं, लेकिन गाँवों में प्रतिभा छिपी हुई है और हम चाहते हैं वे भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करें।
इससे पहले खेल नीति वर्ष 2001 में आई थी। उसके बाद से नई खेल नीति को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। पहले यह माना जा रहा था कि सरकार 2006 में ही नई खेल नीति लेकर आ जाएगी।
अय्यर ने कहा कि खेलों में युवा वर्ग की अधिक से अधिक भागीदारी के लिए देशभर में खेल सुविधाओं का विकास किया जाएगा। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जाएगा, ताकि वहाँ का युवा वर्ग भी इन सुविधाओं का लाभ उठा सके।
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने वर्षों बाद भी गाँवों में खेल सुविधा का विकास नहीं हो पाया है। यदि प्रत्येक पंचायत के पास अपना मैदान हो और उसे अन्य सुविधाएँ मुहैया कराई जाएँ तो भारतीय खेलों का स्तर बढ़ सकता है। गाँवों में खेल सुविधा मिलने के बाद वहाँ से निश्चित रूप से प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को निकालने में आसानी होगी।
खेलमंत्री ने इस संबंध में सरकार की भावी योजनाओं का भी खुलासा किया। उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय अभी इसी बात पर जोर दे रहा है कि खेलों को गाँवों में कैसे पहुँचाया जाए। उन्होंने कहा कि हमने पंचायत युवा खेल क्रीड़ा अभियान चलाने का फैसला किया है, ताकि जमीनी स्तर से देश में खेलकूद को प्रोत्साहन दिया जा सके।
उन्होंने कहा कि इससे संबंधित दस्तावेज योजना आयोग का भेजे जा चुके हैं और हमें उम्मीद है कि शीघ्र ही योजना आयोग से इसे मंजूरी मिल जाएगी।