भारत के किशोर मुक्केबाज शिव थापा ने सर्बिया के बेलग्रेड में आयोजित विनर्स इनविटेशनल टूर्नामेंट में 56 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता, जो उनका सीनियर वर्ग में पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब है।
असम के 17 वर्षीय थापा अपने भार वर्ग में सबसे कम उम्र के मुक्केबाज थे और उनका मुकाबला मौजूदा विश्व चैंपियन से था। थापा ने बुल्गारिया के दातेलिन दालेकीव को हराया जिन्होंने 2009 में मिलान विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीता था। थापा की यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण रही क्योंकि वह पहले दो राउंड में पिछड़ रहे थे।
भारतीय मुक्केबाजों को इस टूर्नामेंट में पहली बार आमंत्रित किया गया था, जिसमें उनका प्रदर्शन अच्छा रहा और वह दो स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीतने में सफल रहे। थापा के अलावा एशियाई खेलों के कांस्य पदक विजेता परमजीत समोटा (91 किग्रा से अधिक) ने आशानुरूप स्वर्ण पदक जीता जबकि एशियाई खेलों के रजत पदक विजेता मनप्रीत सिंह (91 किग्रा) ने कांस्य पदक हासिल किया।
ओलिम्पिक गोल्ड क्वेस्ट से सहयोग हासिल करने वाले थापा ने अन्य मुक्केबाजों के साथ भारत पहुंचने पर कहा मुझे नहीं पता था कि मेरा मुकाबला विश्व चैंपियन से हो रहा है। कोच ने मुकाबले से पहले मुझे नहीं बताया था। मैंने जब उसे हरा दिया तब एक कोच मेरे पास दौड़ के आए और उन्होंने कहा, ‘शिव आपने विश्व चैंपियन को हरा दिया।’
विश्व चैंपियनशिप में रजत और पहले युवा ओलिम्पिक में कांस्य पदक जीतने वाले शिव टूर्नामेंट में भाग लेने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय थे।
सीनियर स्तर पर मुक्केबाजी करना हालांकि अलग तरह का अनुभव होता है क्योंकि यहां अधिक मजबूत और लंबे कद के खिलाड़ियों का सामना होता है।
थापा ने कहा, ‘लेकिन स्टेमिना भी अहम चीज होती है। युवा होने का मतलब है कि आपके पास अधिक स्टेमिना और रिफलेक्स होंगे। इसके अलावा मैं दहशत में नहीं आता । मैं वास्तव में कभी अपने प्रतिद्वंद्वी की ख्याति की परवाह नहीं करता। नर्वस होकर रिंग में उतरने से कभी मदद नहीं मिलती। मैं केवल अपने मजबूत और कमजोर पक्षों पर ध्यान देता हूं।
इस बीच असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने थापा को स्वर्ण पदक जीतने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह असम के लोगों के लिए गर्व की बात है। शिव अपनी कड़ी मेहनत और एकाग्रता से जीत दर्ज करने में सफल रहे और वह यहां के खेल जगत के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। (भाषा)