सानिया को धार्मिक विवाद नहीं होने की उम्मीद

शुक्रवार, 29 जून 2007 (23:43 IST)
भारत की स्टार सनसनी टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा को उम्मीद है कि विम्बलडन के महिला युगल मुकाबलें में इसराइल की यहूदी बाला शाहर पीर के साथ फिर से कोर्ट पर उतरने के उनके फैसले से कोई अन्य धार्मिक विवाद नहीं खड़ा होगा।

विम्बलडन के एकल मुकाबले से गुरुवार को दूसरे दौर से ही बाहर हो चुकी सानिया ने कहा कि हम टेनिस खेलते है न कि बयान बनाते हैं।

हम यहाँ अपने खेल में अच्छा प्रदर्शन करने आए हैं। पीर के साथ मेरी जोडी ऐसी ही है जैसे फ्रेंच ओपन में इवा बिरनेरोवा के साथ थी। हम केवल खेलते हैं और इससे कोई बयान नहीं बनता है।

इससे पहले भी 2005 में जापान ओपन में मुस्लिम सानिया ने पीर के साथ जोड़ी बनाई थी, लेकिन उस समय ये दोनों ज्यादा समय तक साथ नहीं रह पाई थीं। सानिया अब धार्मिक विवाद को एकतरफ कर विम्बलडन की युगल स्पर्धा में अपनी उम्मीद को आगे बढ़ाने पर नजर बनाए हुए हैं।

सानिया ने कहा कि हम उम्र में लगभग बराबर हैं और अच्छी दोस्त भी हैं, इसलिए हमने साथ खेलने का फैसला किया। हम एक दूसरे को पाने के कारण खुद को भाग्यशाली मानते हैं क्योंकि हम दोनों का खेल एक दूसरे के अनुकूल है। मेरा फोरहैंड मजबूत है तो उनका बैकहैंड। हमने पहले भी अच्छा खेला है।

हैदाराबादी बाला ने कहा कि हम इस बात पर ध्यान नहीं देते कि हम किस देश के हैं। अंत में यही मायने रखता है कि हम मैच जीतते हैं या नहीं।

गौरतलब है कि इससे पहले 2002 में धार्मिक विवाद के कारण पाकिस्तान के टेनिस महासंघ ने अपने खिलाड़ी ऐसाम उल हक कुरैशी को इसराइल के अमीर हदाद के साथ विम्बलडन के पुरुष युगल मुकाबले में उतरने के कारण निलम्बित करने की चेतावनी दी थी।

लेकिन प्रतियोगिता के आयोजकों ने दोनों खिलाड़ियों को मानवता पुरस्कार से सम्मानित किया था। हालाँकि सानिया इस तरह के पुरस्कार में कोई रुचि नहीं रखती हैं।

युगल मुकाबले में 16वीं वरीयता प्राप्त सानिया और पीर का विम्बलडन के पहले दौर में स्वीडन की सोफिया एंडरसन और अमेरिका की लिसा ओस्टरलोह से मुकाबला होना है।

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