Teachers Day 2020 : आधुनिक भारत के 10 महान शिक्षाविद

हमारे देश में प्राचीनकाल से ही गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु को पूजने और सम्मान देने की परंपरा रही है। यह गुरु पूर्णिमा महान गुरु महर्षि वेद व्यास की जयंती पर मनाई जाती है। दूसरी ओर अब वर्तमान में महान शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन 5 सितंबर को टीसर्च डे या शिक्षक दिवस मनाने का भी प्रचलन चला है। आओ इस अवसर पर जानते हैं आधुनिक काल के 10 महान शिक्षकों का संक्षिप्त परिचय।
 
 
1. डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन : भारत के पूर्व राष्ट्रपति और दार्शनिक तथा शिक्षाविद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 1888 को तमिलनाडु के एक छोटे से गांव तिरुतनी में हुआ था। राधाकृष्णन ने कलकत्ता, मैसूर, हार्वर्ड विश्वविद्यालय, हैरिस मैनचेस्टर कॉलेज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय सहित दुनिया भर के असंख्य विश्वविद्यालयों में पढ़ाया है। 17 अप्रैल 1975 को उन्होंने देह छोड़ दी।
 
2. जे. कृष्णमूर्ति : प्रोफेसर और दार्शनिक कृष्णमूर्ति का जन्म 1895 में आंध्रप्रदेश के मदनापाली में मध्‍यवर्ग ब्राह्मण परिवार में हुआ। कृष्णमूर्ति ने बड़ी ही फुर्ती और जीवटता से लगातार दुनिया के अनेकों भागों में भ्रमण किया और लोगों को शिक्षा दी और लोगों से शिक्षा ली। उन्होंने पूरा जीवन एक शिक्षक और छात्र की तरह बिताया। उन्होंने 91 वर्ष की आयु में 1986 को अमेरिका में देह छोड़ दी। लेकिन आज भी दुनियाभर की लाइब्रेरी में कृ‍ष्णमूर्ति उपलब्ध हैं।
 
3. ओशो रजनीश : 11 दिसंबर, 1931 को मध्य प्रदेश के कुचवाड़ा में उनका जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई जबलपुर में पूरी की और बाद में वो जबलपुर यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के तौर पर काम करने लगे। उनकी मृत्यु 19 जनवरी, 1990 में हो गई। ओशो ने जी‍वन पर्यंत लोगों को शिक्षा दी। ओशो रजनीश के जीवन का एक हिस्सा है उनका शिक्षक होना। उन्होंने शिक्षा में आमूल परिवर्तन की बात कही और अपनी एक अलग की शिक्षा पद्धति को विकसित किया। शिक्षा में क्रांति नाम उनकी पुस्तक पढ़ना चा‍हिये।
 
4. प्रफुल चंद्र राय : प्रसिद्ध शिक्षाविद् और रसायनज्ञ प्रफुल चंद्र राय का जन्म 2 अगस्त 1861 में ररौली गांव, (बांग्लादेश) में हुआ था। उनकी मृत्यु 16 जून, 1944 को कलकत्ता (भारत) में हुई थी। उनको भारत की पहली फार्मास्यूटिकल कंपनी, बंगाल रसायन एवं फार्मास्यूटिकल्स के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। रसायन और फार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में उनका योगदान कोई नहीं भूल सकता।
 
5. श्रीनिवास रामानुजन् : महान गणितज्ञ और शिक्षाविद श्रीनिवास रामानुजन् का जन्म 22 दिसम्बर, 1887 को चेन्नई के इरोड गांव में हुआ था। 26 अप्रैल, 1920 को चेन्नई मद्रास में उनकी मृत्यु हुई थी। वे एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। इन्हें आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है। इन्हें गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला, फिर भी इन्होंने विश्लेषण और संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में गहन योगदान दिए।
 
6. चन्द्रशेखर वेंकटरमन : भारतीय भौतिक-शास्त्री चन्द्रशेखर वेंकट रामन का जन्म 7 नवम्बर, 1888 को तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु में हुआ था और मृत्यु 21 नवम्बर, 1970 को बेंगलुरू में हुई थी। प्रकाश के प्रकीर्णन पर बेहतरीन कार्य के लिए उन्हें वर्ष 1930 में भौतिकी का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया था। उनका आविष्कार उनके ही नाम पर रामन प्रभाव के नाम से जाना जाता है।
 
7. जगदीश चन्द्र बसु : भौतिकी, जीवविज्ञान, वनस्पति विज्ञान और पुरातत्व के शिक्षक और ज्ञाता डॉ. जगदीश चन्द्र बसु का जन्म 30 नवंबर सन् 1858 को मेमनसिंह गांव बंगाल (अब बांग्लादेश) में हुआ था। 23 नवंबर, सन् 1937 को उनकी मृत्यु हो गई। वे एक महान  वैज्ञानिक थे। वे ऐसे पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर काम किया था। उन्हीं के कारण मार्कोनी रोडियो का अविष्कार कर पाया था। 
 
8. सत्येन्द्रनाथ बोस : भारतीय गणितज्ञ और भौतिक शास्त्री सत्येन्द्रनाथ बोस का जन्म 1 जनवरी, 1894 को कोलकाता में हुआ था और मृत्यु 4 फ़रवरी, 1974 को हुई थी। भौतिक शास्त्र में दो प्रकार के अणु माने जाते हैं- बोसान और फर्मियान। इनमें से बोसान सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर ही हैं।
 
9. एपीजे अब्दुल कलाम : भारत के 'मिसाइल मैन' कहे जाने वाले पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने हमेशा चाहा कि उनको एक अच्छे शिक्षक के तौर पर याद किया जाए। पढ़ाने का उनको जुनून था। उनका निधन 27 जुलाई 2015 को आईआईएम शिलॉन्ग में पढ़ाते समय हुआ था। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी, रामेश्वरम, तमिलनाडु, भारत में हुआ था। उनकी जयंती को विश्व छात्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
 
10. पांडुरंग सदाशिव सने : महाराष्ट्र के लोकप्रिय सने गुरुजी ने न सिर्फ अपने छात्रों में अच्छे संस्कार डाले अपितु विद्यार्थी नाम की एक पत्रिका भी शुरू की जो उस समय बेहद लोकप्रिय हुई। वह न सिर्फ एक अध्यापक थे बल्कि एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे। महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में उन्होंने शिक्षा दी थी। 
 
इसके अलावा सावित्रीबाई फुले, विवेकानंद, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, बाल गंगाधर तिलक, प्रफुल्ल चन्द्र रे, राजा राम मोहन रॉय, होमी जहांगीर भाभा, हरगोविन्द खुराना, श्रीराम शंकर अभयंकर, रविंद्रनाथ टैगोर आदि कई लोगों के यहां नाम छूट गए हो तो क्षमा चाहता हूं।

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