Hariyali Teej 2021 : इस साल हरियाली तीज पर बन रहे हैं बहुत शुभ संयोग, भगवान शिव-पार्वती के शुभ मंत्र
प्रत्येक वर्ष की श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाने का विधान है। इसे मधुश्रवा तृतीया या छोटी तीज के नाम से भी जाना जाता है। हरियाली तीज के बाद ही नाग पंचमी, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी और नवरात्र आदि बड़े त्योहार आते हैं।
इस बार हरियाली तीज 11 अगस्त 2021 को है। यह व्रत सुहागिन स्त्रियों के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इस दिन सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं। इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं।
राजस्थान में इस पर एक कहावत भी है- तीज तीवारां बावड़ी ले डूबी गणगौर। इसका मतलब है कि सावन की तीज अपने साथ त्योहारों की पूरी श्रृंखला लेकर आती है जो छः महीने बाद आने वाले गणगौर के त्योहार के साथ पूरी होती है। हरियाली तीज के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। इस दिन महिलाएं सज-संवरकर झूला झूलती हैं और सावन के प्यारे मधुर लोकगीत गाती हैं।
इस दिन हाथों में मेहंदी लगाने की भी परंपरा है।
हरियाली तीज का शुभ मुहूर्त
हरियाली तीज तृतीया तिथि आरंभ: 10 अगस्त शाम 6 बजकर 5 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त: 11 अगस्त शाम 4 बजकर 53 मिनट तक
हरियाली तीज पर बन रहे हैं विशेष योग
11 अगस्त की शाम 6 बजकर 28 मिनट तक शिव योग रहेगा। शिव का अर्थ होता है शुभ। यह योग बहुत ही शुभदायक है। इस योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं। साथ ही सुबह 9 बजकर 32 मिनट से लेकर 12 अगस्त सुबह 8 बजकर 53 मिनट तक सारे कार्य बनाने वाला रवि योग रहेगा। रवि योग सभी कुयोगों को, अनिष्ट शक्तियों को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति रखता है।
इसके साथ ही सुबह 9 बजकर 32 मिनट तक पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र रहेगा। उसके बाद उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र लग जाएगा।
हरियाली तीज पूजा विधि
तीज के दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करती हैं। सुंदर सजीले रंगबिरंगे या हरे परिधान पहनने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेती हैं।
इस दिन बालू के भगवान शंकर व माता पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है और एक चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सहेली की प्रतिमा बनाई जाती है।
माता को श्रृंगार का सामान अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती का आवाह्न करें।
माता-पार्वती, शिव जी और उनके साथ गणेश जी की पूजा करें।
शिव जी को वस्त्र अर्पित करें और हरियाली तीज की कथा सुनें।
उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये मंत्र का जाप भी कर सकती हैं।
ध्यान रहें कि प्रतिमा बनाते समय भगवान का स्मरण करते रहें और पूजा करते रहें। पूजन-पाठ के बाद महिलाएं रात भर भजन-कीर्तन करती है और हर प्रहर को इनकी पूजा करते हुए बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण करने चाहिए और आरती करनी चाहिए।