कितनी बार होती है पूजा?
इस व्रत में कम से कम 5 बार पूजा की जाती है।
हरतालिका व्रत की पूजा रात्रि के चार प्रहर और दिन के पहले प्रहर में करने का विधान है।
यह भी नियम है कि 5 पूजा में से 3 पूजा तीज के दिन कभी भी कर सकते हो।
आखिरी पूजा चतुर्थी के दिन पारण पूजा होती है, जिसे परायण भी कहते हैं।
दूसरी पूजा : शाम 06:23 से 08:44 के बीच।
तीसरी पूजा : रात 11 से 12 बजे के बीच।
चौथी पूजा : रात 02 से 03 बजे के बीच।
इस दिन प्रदोष काल पूजा के लिए पहला मुहूर्त शाम 06.23 बजे से शाम 06.47 बजे तक का है।
लाभ- 06.57 पी एम से 08.19 पी एम
शुभ- 09.41 पी एम से 11.03 पी एम
अमृत- 11.03 पी एम से 20 अगस्त को 12.25 ए एम तक।
चर- 12.25 ए एम से 20 अगस्त को 01.47 ए एम तक।