Telangana : चुनाव से पहले कांग्रेस को झटका, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्षमैया ने दिया इस्तीफा
शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2023 (17:56 IST)
Shock to Congress before elections in Telangana : तेलंगाना विधानसभा चुनाव से कुछ सप्ताह पहले कांग्रेस को शुक्रवार को उस समय झटका लगा जब उसके पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पोन्नाला लक्षमैया ने पार्टी के भीतर अन्यायपूर्ण माहौल होने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया।
उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को अपना त्यागपत्र भेजा है। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष का इस्तीफा पार्टी के लिए झटका माना जा रहा है।
लक्षमैया ने अपने त्यागपत्र में आरोप लगाया कि जब तेलंगाना के पिछड़े वर्ग के 50 नेताओं का एक समूह इस वर्ग के वास्ते प्राथमिकता का अनुरोध करने के लिए दिल्ली गया था, तो उन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के नेताओं से मिलने का भी अवसर नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि यह उस राज्य के लिए शर्मिंदगी की बात है जो अपने आत्मसम्मान पर गर्व करता है।
उन्होंने कहा, भारी मन से मैं पार्टी के साथ अपना जुड़ाव खत्म करने के अपने फैसले की घोषणा करता हूं। मैं एक ऐसे पड़ाव पर पहुंच गया हूं जहां मुझे लगता है कि मैं अब ऐसे अन्यायपूर्ण माहौल में नहीं रह सकता। मैं उन सभी के प्रति आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने वर्षों से मेरी विभिन्न पार्टी भूमिकाओं में मेरा समर्थन किया है।
उनसे संबंधित व्हाट्सएप ग्रुप में इस त्याग पत्र को साझा किया गया है। अविभाजित आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मैया से टिप्पणी के लिए संपर्क नहीं हो सका। पार्टी से उनका इस्तीफा कांग्रेस के लिए एक झटका है जो 30 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के वास्ते अपने उम्मीदवारों की सूची की घोषणा करने की तैयारी कर रही है। लक्षमैया चार बार के विधायक हैं और अविभाजित आंध्र प्रदेश में 12 वर्ष तक मंत्री रहे।
उन्होंने कांग्रेस में उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया को लेकर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि पार्टी की सदस्यता या पार्टी सदस्यों द्वारा किए गए योगदान का कोई सम्मान नहीं है। उनका कहना है, दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम बाहरी परामर्श पर निर्भर हैं और अक्सर पार्टी कार्यकर्ताओं की आवाज को सम्मान नहीं दिया जाता।
लक्षमैया के अनुसार, अगर कांग्रेस के भीतर पिछड़े वर्गों के नेताओं को दोयम दर्जे का और महत्वहीन महसूस करवाया जाता है तो इससे न सिर्फ उनके आत्मसम्मान, बल्कि पार्टी की प्रतिष्ठा को भी आघात पहुंचता है।
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) पिछड़े वर्ग के नेताओं को महत्व देती है और उन्हें अच्छे पद प्रदान करती है, जबकि पीसीसी अध्यक्ष (रेवंत रेड्डी), कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष, पूर्व सांसद और कार्यकारी अध्यक्ष जैसे नेता भी पिछड़े वर्ग के नेताओं की चिंताओं पर शीर्ष नेतृत्व के साथ चर्चा करने में असमर्थ हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है और अनियमितताओं के आरोप पार्टी की एकजुटता को और कमजोर कर रहे हैं।लक्षमैया ने दावा किया, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि मेरे जैसे वरिष्ठ नेताओं को पार्टी के बारे में चर्चा करने के लिए महीनों तक इंतजार करना पड़ा और मैं व्यक्तिगत रूप से एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मिलने के लिए दिल्ली में 10 दिनों तक इंतजार करने पर निराशा व्यक्त कर चुका हूं।
उनका कहना है कि जब वह (अविभाजित आंध्र प्रदेश में) पीसीसी अध्यक्ष थे, तब उन्हें तेलंगाना में 2014 के चुनावों में कांग्रेस की हार के लिए गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था और 2015 में अपमानजनक तरीके से पद से हटा दिया गया था।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)