जनानेपन से डरे मर्द...

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मर्दानगी का विलोमार्थी शब्द क्या होगा? जनानापन...। मगर मर्दानगी मर्द की क्वालिटी है। जनानापन क्या किसी महिला की क्वालिटी माना जाता है? जो गुण मर्दानगी के दायरे में आते हैं वो हैं साहस, दृढ़ता और अंत में सबसे जरूरी एक बढ़िया नर होना।

बहुत महिलाओं से संबंध रखने वाले मर्द को ऊपरी मन से भले ही लोग लंपट कहें, पर अंदर ही अंदर सराहते भी हैं और उसकी मर्दानगी के कायल भी होते हैं। मगर कोई औरत बहुत लोगों से संबंध रखे तो क्या उसके "जनानेपन" की कोई तारीफ होती है?

मर्द यदि बहुत औरतों से संबंध बनाए तो वो उसकी मर्दानगी का सबूत है, मगर औरत यदि बहुत लोगों से ताल्लुक रखे तो ये उसकी लिप्सा है, उसका चरित्रहीन होना है, पथभ्रष्ट होना है, बिगड़ा हुआ होना है। क्या यह दोहरा मापदंड नहीं है?

पाकिस्तानी अभिनेत्री वीना मलिक की परेशानी यह है कि वे अपने जनानेपन को उसी तरह खुलकर जीना चाहती हैं, जिस तरह मर्द अपनी मर्दानगी को जीता है। मगर हजारों बरस से कथित मर्द औरतों के जनानेपन से डरे हुए हैं। कहना चाहिए आक्रांत हैं।

उदाहरण के लिए देखिए कि कितनी दवाएँ मर्दानगी बढ़ाने वाली बिकती हैं। कितनी ही खाने-पीने की चीजों के बारे में कहा जाता है कि ये खाना चाहिए, इससे मर्दानगी बढ़ती है। मगर क्या जनानेपन को बढ़ाने वाली भी उतनी दवाएँ बिकती हैं? असल में मर्द शुरू से ही डरे हुए हैं और अपना इलाज करते रहे हैं।

वीना मलिक हिन्दुस्तान-पाकिस्तान की महिलाओं की साझा प्रतीक हैं। उन्होंने अपने मंगेतर से सगाई तोड़ ली है। कहना चाहिए मंगेतर ने तोड़ दी है। बिग बॉस में अश्मित के साथ उनकी बिंदास नजदीकियों को देखने के बाद कोई भी मर्द उनके इस जनानेपन से डर सकता है।

जहाँ तक धर्मों का संबंध है, सभी धर्म जनानेपन से डरे हुए हैं। औरतों की स्वाभाविक इच्छाओं की सभी धर्मों ने निंदा की है और कहा है कि औरतें अपनी हद में रहें। दुनिया के सभी धर्म भी मर्दों ने ही बनाए हैं।

वीना मलिक को पाकिस्तान के मौलवियों से भी गीदड़ भभकियाँ मिली हैं। वीना मलिका का कसूर सिर्फ इतना है कि कुदरत ने उन्हें भरपूर औरत बनाया है। ये लोग औरत से ही डरते हैं तो भरपूर औरत तो मानो हौवा है।

सवाल ये नहीं कि वीना मलिक का क्या होगा? सवाल यह है कि उन हजारों वीनाओं का क्या होगा, जो हमारी निंदा के कोड़े खाती हैं। कबीलाई इलाकों में यदि गैर मर्द के साथ पाई जाने वाली महिला को पत्थर मार-मार कर मौत के घाट उतार दिया जाता है, तो हमारे यहाँ कुँवारी लड़की किसी के साथ नजर आने पर आनन-फानन उसकी शादी कर दी जाती है, जो कि संगसार करने का ही एक सभ्य ढंग है।

कहा जा सकता है कि हम हर रूप में वीना मलिक से डरे हुए हैं। हम नहीं चाहते कि वो हमें प्रेमिका के रूप में मिले, हम नहीं चाहते कि वो हमारी पत्नी बने। बहन-बेटी तो हरगिज नहीं...। भूत-प्रेत से ज्यादा हम वीनाओं से डरते हैं। हमारी वीनाएँ छुपकर रहती हैं और अपने भीतर की वीना को और छुपाकर रखती हैं।

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