राखी की मासूम दरियादिली

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राखी सावंत की मासूमियत पर प्यार तो आता है। उनका चर्चित शो टीवी पर आने वाला है, जिसमें वे स्वयंवर रचाएँगी। कुछ हज़ार लड़कों में से सोलह चुन लिए गए हैं। इन सोलह में से किसी एक को (वादे के मुताबिक) राखी वरेंगी। शो शुरू होने के पहले राखी ने कहा है कि वे आधुनिक द्रोपदी बनकर सोलह से ही शादी करना चाहती हैं। उनकी यह तमन्ना पूरी हो। आमीन।

राखी दरियादिल हैं। जब शादी ही करना है तो एक से क्यों? सोलह से क्यों नहीं? बेचारे पंद्रह को निराश क्यों करना? इंसान कोई वस्तु नहीं है कि एक को मिल जाए तो दूसरे को न मिल सके। एक साथ बहुत लोगों से स्नेह रखा जा सकता है, प्रेम किया जा सकता है। यदि समझदारी हो, तो सब संभव है। ऐसे उदाहरण हैं कि एक घर में दो पत्नियाँ, तीन पत्नियाँ एक पति के साथ रह रही हैं। कोई एक पहाड़ी देश है जहाँ सारे भाई शादी नहीं करते। एक भाई शादी करता है और उसकी पत्नी सबकी पत्नी होती है।

राखी सावंत की इस बात पर बहुत से संस्कारी लोग नाक- भौं सिकोड़ सकते हैं। कुछ लोग द्रोपदी से भी उसकी तुलना कर सकते हैं, कर भी रहे हैं। कुछ कह रहे हैं कहाँ वह और कहाँ यह। बात ठीक है। कहा जाता है कि प्रकृति ने पुरुष को भँवरा बनाया है और नारी को एक से वफादारी रखने वाली। यह बात पता नहीं कैसे कहाँ से मशहूर हो गई। अधिकार मिलने पर नारी भी कई तरह के गुल खिला सकती है। स्त्री और पुरुष दोनों का मन एक जैसा है, पुराने से ऊबता है और नए में दिलचस्पी लेता है। सो भँवरे हैं, तो दोनों हैं और अपवाद भी दोनों में ही पाए जाते हैं।

हर कस्बे, हर गाँव में पैथालॉजी लैब खुल गई हैं। इन लैब को सबसे ज्यादा कमाई गर्भवती महिलाओं को यह बताने में है कि पेट में लड़का है या लड़की। लड़कियों की गर्भ में ही हत्या हो रही है। ऐसा कत्लेआम मचा हुआ है कि बीस-तीस साल बाद शायद यही होगा कि एक महिला से पाँच पुरुष शादी करेंगे। महिलाओं की पूछपरख बढ़ जाएगी।

तमाम सामाजिक नियम और कानून सामाजिक हालात से ही जन्म लेते हैं। सोचिए, राखी सावंत अगर सोलह लड़कों से शादी कर भी ले, तो आज की स्थिति में क्या यह आने वाले भयावह कल की एक तस्वीर नहीं हो सकती। क्योंकि लड़कों की तुलना में इस वक्त लड़कियाँ कम हैं।

(नईदुनिया)

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