शाही नाई का कार्य प्रतिदिन राजा कृष्णदेव राय की दाढ़ी बनाना था। एक दिन, जब वह दाढ़ी बनाने के लिए आया तो राजा कृष्णदेव राय सोए हुए थे। नाई ने सोते हुए ही उनकी दाढ़ी बना दी।
उठने पर राजा ने सोते हुए दाढ़ी बनाने पर नाई की बहुत प्रशंसा की। राजा उससे बहुत प्रसन्न हुए और उसे इच्छानुसार कुछ भी मांगने को कहा।
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इस पर नाई बोला, 'महाराज, मैं आपके शाही दरबार का दरबारी बनना चाहता हूं।'
राजा नाई की इच्छा पूरी करने के लिए तैयार हो गए। नाई की उच्च नियुक्ति का समाचार जैसे ही चारों ओर फैला, अन्य दरबारी यह सुनकर व्याकुल हो गए।
सभी ने सोचा कि अज्ञानी व्यक्ति दरबारी बनकर अपने पद का दुरुपयोग कर सकता है। सभी दरबारी समस्या के समाधान के लिए तेनालीराम के पास पहूंचे। तेनालीराम ने उन्हें सहायता का आश्वासन दिया।
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अगली सुबह राजा नदी किनारे सैर के लिए गए। वहां उन्होंने तेनालीराम को एक काले कुत्ते को जोर से रगड़-रगड़कर नहलाते हुए देखा तो हैरान हो गए। राजा द्वारा कारण पूछने पर तेनालीराम ने बताया, 'महाराज, मैं इसे गोरा बनाना चाहता हूं।'
राजा ने हंसते हुए पूछा, 'क्या नहलाने से काला कुत्ता गोरा हो जाएगा?'
'महाराज, जब एक अज्ञानी व्यक्ति दरबारी बन सकता है तो यह भी गोरा हो सकता है।' तेनालीराम ने उत्तर दिया।
यह सुनकर राजा तुरंत समझ गए कि तेनालीराम क्या कहना चाहता है। उसी दिन राजा ने दरबार में नाई को पुनः उसका वही स्थान दिया, जिसके लिए वह उपयुक्त था।