वेल डन अन्ना! सिंहों के बीच गोलपोस्ट की दीवार बने श्रीजेश ने जीत को बताया 'पुनर्जन्म', परिवार ने ऐसे मनाया जश्न (वीडियो)
गुरुवार, 5 अगस्त 2021 (13:26 IST)
हरमनप्रीत सिंह, मनदीप सिंह, रुपिंदर पाल सिंह और कप्तान मनप्रीत सिंह समेत सभी सिंहो के बीच आप अन्ना श्रीजेश का योगदान नहीं दरकिनार कर सकते। अगर भारत की ओर से जिस खिलाड़ी ने इस पूरे टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित किया है तो वह श्रीजेश ही है।
क्वार्टर फाइनल मुकाबले में ग्रेट ब्रिटेन के सामने श्रीजेश एक दीवार बनकर खड़े हो गए थे। यह मैच भारत 3-1 से जीता। वहीं आज जर्मनी भी 10 में से सिर्फ 1 मर्तबा ही इस दीवार में छेद कर पायी। कुल 10 पेनल्टी कॉर्नर में जर्मनी सिर्फ 1 गोल कन्वर्ट कर पायी। इसके अलावा उन्होंने कई अहम मौकों पर मैदानी गोल भी बचाए।
वेबदुनिया से हुई खास बातचीत में भारत के पूर्व कप्तान से जब पूछा गया कि इस ओलंपिक में किस पुरुष खिलाड़ी ने उनको सबसे ज्यादा प्रभावित किया है तो उनका पहला जवाब था - श्रीजेश। यही नहीं वह इस बातचीत में यह अंदाजा लगा चुके थे कि अगर भारत ने जिस स्तर का खेल दिखाया है वैसा खेलने पर कांस्य पदक जीत सकता है।
बहरहालओलंपिक कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम की जीत के सूत्रधारों में रहे गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने कहा , यह पुनर्जन्म है । उन्होंने उम्मीद जताई कि इस जीत से आने वाली पीढी में कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी पैदा होंगे।भारतीय हॉकी टीम ने जर्मनी को 5-4 से हराकर तोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता।
हूटर से छह सेकंड पहले पेनल्टी रोकने वाले श्रीजेश ने जीत के बाद कहा ,41 साल हो गए। आखिरी पदक 1980 में मिला था। उसके बाद कुछ नहीं। आज हमने पदक जीत लिया जिससे युवा खिलाड़ियों को हॉकी खेलने की प्रेरणा और ऊर्जा मिलेगी।उन्होंने कहा ,यह खूबसूरत खेल है । हमने युवाओं को हॉकी खेलने का एक कारण दिया है।
जीत के बाद भारतीय खिलाड़ी जहां रोते हुए एक दूसरे को गले लगा रहे थे, वहीं श्रीजेश गोलपोस्ट पर बैठ गए थे । पिछले 21 साल से इस दिन का इंतजार कर रहे 35 वर्ष के श्रीजेश के लिये शायद यह पदक जीतने का आखिरी मौका था ।उन्होंने कहा , मैं आज हर बात के लिये तैयार था क्योंकि यह 60 मिनट सबसे महत्वपूर्ण थे । मैं 21 साल से हॉकी खेल रहा हूं और मैने खुद से इतना ही कहा कि 21 साल का अनुभव इस 60 मिनट में दिखा दो।
जीत के बाद बैठ गए गोलपोस्ट के सामने
आखिरी पेनल्टी के बारे में उन्होंने कहा , मैने खुद से इतना ही कहा कि तुम 21 साल से खेल रहे हो और अभी तुम्हे यही करना है । एक पेनल्टी बचानी है ।पूरे ओलंपिक में श्रीजेश ने कई मौकों पर भारतीय टीम के लिये संकटमोचक की भूमिका निभाई । उन्होंने कहा , मेरी प्राथमिकता गोल होने से रोकना है । इसके बाद दूसरा काम सीनियर खिलाड़ी होने के नाते टीम का हौसला बढाना है । मुझे लगता है कि मैने अपना काम अच्छे से किया ।
उन्होंने कहा कि जीत का खुमार अभी उतरा नहीं है और शायद घर लौटने के बाद ही वह स्थिर होंगे ।मैच के बाद उन्होंने अपने पिता को वीडियो कॉल किया । उन्होंने कहा , मैने सिर्फ उन्हें फोन किया क्योंकि मेरे यहां तक पहुंचने का कारण वही है। मैं उन्हें बताना चाहता था कि हमने पदक जीत लिया है और मेरा पदक उनके लिये है ।
वहीं उनका परिवार यह कांटे का मैच ध्यान से देख रहा था और अंतिम पलों में उनकी भी सांसे थमी हुई थी। जैसे ही घर के चिराग श्रीजेश ने आखिरी गोल रोका तो उनके परिवार ने दिवाली मनानी शुरु कर दी। देखिए यह वीडियो
#WATCH | Family members of Goalkeeper PR Sreejesh in Pallikkara, Kerala express their joy soon after team India won #Bronze medal in Men's Hockey game at Tokyo #Olympicspic.twitter.com/F6YB9TuCtc