दहिया ने जापान की राजधानी से फोन पर कहा कि मैं रजत पदक के लिए टोक्यो नहीं आया था। इससे मुझे संतुष्टि नहीं मिलेगी। शायद इस बार मैं रजत पदक का ही हकदार था क्योंकि युगुएव आज बेहतर पहलवान थे। उन्होंने कहा, मैं जो चाहता था, वह हासिल नहीं कर पाया।
दहिया ने कहा कि उन्हें काम करने में खुशी मिलती है। यह उन पर निर्भर है कि वह आराम चाहते हैं या नहीं। मैं उन पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाऊंगा। उन्होंने कहा, मेरे गांव ने तीन ओलंपियन दिए हैं और वे मूलभूत सुविधाओं का हकदार है।
दहिया ने कहा कि मैं नहीं बता सकता कि पहले क्या चाहिए। गांव को हर चीज की आवश्यकता है। हर चीज महत्वपूर्ण है, चाहे वह अच्छे स्कूल हों या खेल सुविधाएं। दहिया का गांव नाहरी दिल्ली से 65 किमी दूर है, लेकिन वहां अब भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है।(भाषा)