uttarkashi cloudburst, why do cloudburst on mountain happen: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में साल 2025 के मानसून की सबसे बड़ी बादल फटने की घटना सामने आई है जिसमें कई लोगों के लापता होने की खबर है। उत्तराखंड के धराली में बादल फटने से खीर गंगा गांव बह गया है। भारत के पहाड़ी इलाकों में हर साल मॉनसून के दौरान बादल फटने (cloudburst) की खबरें आम हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर पहाड़ों में ही बादल फटने की घटना क्यों होती है? बादल फटते कैसे हैं? आइए इन सभी सवालों के जवाब विस्तार से जानते हैं।
बादल फटना क्या है? (What is Cloudburst?)
सबसे पहले, यह समझना जरूरी है कि बादल फटना क्या है। यह कोई ऐसी घटना नहीं है जिसमें सचमुच कोई बादल फट जाता है। विज्ञान की भाषा में, बादल फटना एक अत्यंत तीव्र वर्षा को संदर्भित करता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, जब किसी क्षेत्र में प्रति घंटे 100 मिलीमीटर या उससे अधिक वर्षा होती है, तो उसे बादल फटना (cloudburst) माना जाता है। यह अक्सर एक छोटे से भौगोलिक क्षेत्र में सीमित समय के लिए होता है। इसे सामान्य बारिश से अलग करती है इसकी तीव्रता और सीमित क्षेत्र में इसका प्रभाव।
बादल फटने के कारण (Reasons for Cloudburst)
अब बात करते हैं बादल फटने के कारण की। बादल फटने की घटना के लिए कई कारक जिम्मेदार होते हैं:
1. गर्मी और नमी: गर्म और नम हवा ऊपर उठती है और ठंडी होकर बादलों का निर्माण करती है। जब हवा में अत्यधिक नमी होती है, तो बड़े-बड़े Cumulonimbus बादल बनते हैं, जो भारी बारिश के लिए जिम्मेदार होते हैं।
2. स्थानीयकृत संवहन (Localized Convection): पहाड़ों की जटिल स्थलाकृति स्थानीय स्तर पर तीव्र संवहन धाराओं को जन्म देती है। ये धाराएं बादलों के भीतर नमी को तेजी से ऊपर उठाती हैं, जिससे उनमें पानी की मात्रा बहुत बढ़ जाती है।
3. गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव: जब बादलों में पानी की मात्रा इतनी अधिक हो जाती है कि वे उसे और रोक नहीं पाते, तो गुरुत्वाकर्षण के कारण वह अचानक और भारी मात्रा में नीचे गिर जाता है। यह एक साथ बहुत सारा पानी गिरने जैसा महसूस होता है, लेकिन यह किसी बादल के फटने जैसा नहीं होता है, बल्कि अत्यधिक तीव्रता से हुई वर्षा होती है।
पहाड़ों में ही बादल क्यों फटते हैं? : इसका मुख्य कारण "उठावदार हवा" (Orographic Lift) है। मैदानी इलाकों में हवा को ऊपर उठने के लिए पहाड़ों जैसा अवरोध नहीं मिलता, जिससे नमी युक्त हवा धीरे-धीरे ऊपर उठती है और बारिश सामान्य होती है। वहीं, पहाड़ों की खड़ी ढलानें नमी से लदी हवा को तेजी से ऊपर धकेलती हैं, जिससे बादलों में पानी का जमाव बहुत तेजी से होता है और वे अचानक भारी वर्षा के रूप में नीचे गिरते हैं। इसके अलावा, पहाड़ों की संकरी घाटियां और जटिल भूभाग भी पानी के तेजी से बहाव और बाढ़ का कारण बनते हैं, जिससे बादल फटने से नुकसान और भी बढ़ जाता है।