लगातार मिल रही ओरफिश क्या हैं प्रलय का निश्चित संकेत, तमिलनाडु के बाद इन जगहों पर मिलीं

why are oarfish called doomsday fish: इस सप्ताह ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के तटों पर बहकर आईं तीन रहस्यमय ओरफिश (Oarfish) ने दुनिया भर में चिंता और अटकलों का तूफान खड़ा कर दिया है। इन विशालकाय, चांदी जैसी मछली को "प्रलय की मछली" (Doomsday Fish) के नाम से जाना जाता है और इनका दिखना सदियों से भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का अशुभ संकेत माना जाता रहा है। इस साल सबसे पहले तमिलनाडु के तट पर मछुआरों को यह मछली मिली थी। इस मछली की लंबाई 30 फीट तक जा सकती है और यह आमतौर पर समुद्र की 200 से 1000 मीटर गहराई में रहती है। इसका सतह पर आना न सिर्फ दुर्लभ है, बल्कि आने वाले संकट की पूर्व सूचना भी माना जाता है।

ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और भारत में मिली ओरफिश
बीते सोमवार को तस्मानिया के पश्चिमी तट पर एक विशालकाय ओरफिश मिली, जिसने समुद्री वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया। इसके ठीक बाद, न्यूजीलैंड के दक्षिण द्वीप के डुनेडिन और क्राइस्टचर्च के पास दो सिर रहित ओरफिश पाई गईं। इन घटनाओं ने जापान में प्रचलित लोककथाओं को एक बार फिर ताजा कर दिया है, जहां ओरफिश को 'रियुगु नो त्सुकाई' यानी 'समुद्र देवता के महल का दूत' कहा जाता है, और उनका दिखना बड़े भूकंपों का अग्रदूत माना जाता है। लगातार इतने कम समय में और इतने अलग-अलग स्थानों पर इन गहरी समुद्री जीवों का सतह पर आना, निश्चित रूप से विचारणीय है।

क्यों 'डूम्सडे फिश' को माना जाता है मनहूस?
ओअरफिश को लेकर वर्षों से एक मान्यता चली आ रही है कि इसके दिखने का मतलब किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा का आना होता है। यही वजह है कि इसे 'डूम्सडे फिश' यानी 'प्रलय की मछली' भी कहा जाता है। इसकी सबसे चर्चित घटना जापान में 2011 की है, जब भयानक भूकंप और सुनामी से पहले कई ओअरफिश समुद्र किनारे मरी हुई मिली थीं। इस घटना के बाद से यह विश्वास और मजबूत हुआ कि इस मछली का जमीन के नीचे होने वाली भूगर्भीय हलचलों से कोई रहस्यमय रिश्ता हो सकता है।

क्या है 'प्रलय की मछली' का वैज्ञानिक आधार?
ओरफिश आमतौर पर गहरे समुद्र में, लगभग 200 से 1000 मीटर की गहराई पर रहती हैं। इन्हें शायद ही कभी सतह पर देखा जाता है। इनकी उपस्थिति अक्सर समुद्री धाराओं में बड़े बदलाव, गहरे पानी में भूकंपीय गतिविधियों, या गहरे समुद्र के तापमान में असामान्य वृद्धि से जुड़ी हो सकती है। जापान में 2011 के तोहोकू भूकंप और सुनामी से पहले कई ओरफिश देखी गई थीं, जिसने इस धारणा को और मजबूत किया कि ये मछलियां आने वाली आपदाओं का संकेत हो सकती हैं।

वैज्ञानिक अभी भी इस बात को पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं कि क्यों ये मछलियां सतह पर आती हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वे बीमारी या चोट के कारण मर रही होती हैं और लहरों द्वारा किनारे पर धकेल दी जाती हैं। अन्य का तर्क है कि गहरे समुद्र में होने वाली हलचलें, जैसे कि टेक्टोनिक प्लेटों की गति या पनडुब्बी ज्वालामुखी गतिविधि, उन्हें सतह पर आने के लिए मजबूर कर सकती हैं।

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जापानी लोककथाएं और आधुनिक विज्ञान
जापानी मानते हैं इसे प्रलय की मछली (Doomsday Fish) और उनके लिए यह एक गंभीर चेतावनी है। उनकी लोककथाओं में ओरफिश को गहरे समुद्र से आने वाले संदेशवाहक के रूप में देखा जाता है, जो मानव जाति को संभावित खतरों के बारे में सूचित करते हैं। यह एक ऐसा विश्वास है जो सदियों से चला आ रहा है और जिसे आधुनिक समय में भी गंभीरता से लिया जाता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां भूकंप और सुनामी का खतरा बना रहता है।
हालांकि, वैज्ञानिक समुदाय अभी भी इस बात पर विभाजित है। जबकि कुछ शोधकर्ता ओरफिश के दिखने और भूकंपीय गतिविधि के बीच एक संभावित संबंध की जांच कर रहे हैं, वहीं कई अन्य इसे केवल एक संयोग मानते हैं। वे कहते हैं कि गहरे समुद्र के पारिस्थितिक तंत्र के बारे में अभी भी बहुत कुछ जानना बाकी है, और ओरफिश का सतह पर आना विभिन्न पर्यावरणीय कारकों का परिणाम हो सकता है।

क्या जापानी बाबा वेंगा की भविष्यवाणी से है संबंध
हाल ही में जापानी बाबा वेंगा के नाम से प्रसिद्द  रयो तातसुकी ने एक ऐसी भविष्यवाणी की है, जिसने जापान सहित दुनिया भर के लोगों को दहशत में डाल दिया है। इस भविष्यवाणी के मुताबिक, 5 जुलाई 2025 को जापान और फिलीपींस के बीच समुद्र में एक बड़ी दरार बनेगी। जिसके कारण एक विनाशकारी सुनामी आएगी।  तातसुकी ने दावा किया है कि यह सुनामी 2011 की विनाशकारी तोहोकू सुनामी से तीन गुना ऊंची होगी। इतना ही नहीं, तातसुकी ने जापान के समुद्र के उबलने की भी बात कही है। जिसका अर्थ पानी के नीचे ज्वालामुखी विस्फोट या एक बड़े भूकंप माना जा रहा है, जिसके कारण समुद्री जल का तापमान खतरनाक स्तर तक बढ़ सकता है।

 

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