25 नवंबर से विश्व पर्यटन नगरी सांची में महाबोधि उत्सव एवं सांची मेला आयोजन का शुभारंभ हो गया। तीन दिवसीय इस आयोजन के दौरान देशी-विदेशी पर्यटक बौद्घ दर्शन एवं परम्परा के साथ-साथ देश की लोक संस्कृति से भी रूबरू होंगे। उत्सव और मेले का शुभारंभ बौद्घ धार्मिक कार्यक्रमों से हुआ। यह कार्यक्रम 27 नवंबर तक चलेगा।
सांची स्थित चेतियागिरी विहार की 59वीं वर्षगांठ के अवसर पर महाबोधि सोसायटी ऑफ श्रीलंका सांची सेंटर एवं मध्यप्रदेश शासन के संयुक्त तत्वावधान में इसका आयोजन किया गया है। इसमें 27 वर्ष के तरूण अवतारी बौद्ध धर्मगुरु 17वें कर्मापा ट्रिन्ले थाए दोर्जे शिरकत करेंगे। द बुद्घिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया एवं प्रबुद्घ महिला मण्डल के पदाधिकारियों द्वारा दोर्जे का स्वागत किया गया।
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साथ ही नई दिल्ली में रविवार से होने जा रहे ग्लोबल बुद्धिस्ट कांग्रिगेशन में सांची सहित सभी बौद्ध तीर्थ स्थलों के विकास, सांची में बौद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना और दुनिया में बौद्ध धर्म के विस्तार पर चर्चा होगी। विश्व धरोहर होने के बावजूद सांची में पर्यटन सुविधाओं में सुधार की दरकार है। यही कारण है कि चाहकर भी श्रीलंका से मात्र 20 प्रतिशत श्रद्धालु ही सांची आ पाते हैं।
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यह बात श्रीलंका महाबोधि सोसायटी के प्रेसीडेंट वनागला उपतिस्स थेरो ने बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि सांची भारत और श्रीलंका के मधुर संबंधों में सेतु का काम करता है। उन्होंने कहा कि 27 नवंबर से नई दिल्ली में चार दिनी वैश्विक बौद्ध सम्मेलन हो रहा है। इसमें विश्व के 60 देशों के प्रतिनिधि अपनी बात रखेंगे।
इनमें श्रीलंका, मलेशिया, चीन, जापान, रशिया, हांगकांग, सिंगापुर, इंडोनेशिया आदि शामिल हैं। इसमें भारत की राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी पाटिल, प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को भी आमंत्रित किया गया है। थेरो ने बताया कि सम्मेलन में हम सांची के विकास की बात खास तौर पर होगी तथा पर्यटकों की सुविधा के मद्देनजर ट्रेनों का स्टॉपेज बढ़ाने, आवागमन के अन्य साधन उपलब्ध कराने तथा बौद्ध विवि की स्थापना अविलंब करने का मुद्दा शामिल रहेगा। भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी तक विमान चलाने का प्रस्ताव भी मलेशिया की तरफ से आया था, इस पर भी विचार विमर्श किया जाएगा।