50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का 'ब्लूप्रिंट' है आर्थिक समीक्षा : सुब्रमण्यम

गुरुवार, 4 जुलाई 2019 (16:48 IST)
नई दिल्ली। मुख्य आर्थिक सलाहकार एवं आर्थिक समीक्षा 2018-19 को तैयार करने वाले केवी सुब्रमण्यम ने इसको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2024-25 तक देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के विजन का ब्लू प्रिंट बताया और कहा कि इसलिए इसे नीले (ब्लू) रंग में ही प्रकाशित किया गया है।
 
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के समीक्षा को संसद में पेश करने के बाद सुब्रमण्यम ने यहां कहा कि समीक्षा में इस विजन को हासिल करने के उपाय सुझाए गए हैं जिनमें निवेश बढ़ाने के लिए घरेलू बचत के उपयोग पर अधिक जोर दिया गया है।
 
उन्होंने कहा कि चीन और दुनिया के अधिकांश विकसित देश इसी मॉडल को अपनाकर आगे बढ़े हैं और भारत को भी इसी को अपनाना पड़ेगा। देश में पूंजी लागत अधिक होने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि चीन में कम ब्याज दर होने के बावजूद लोग बचत कर निवेश करते हैं।
 
उन्होंने कहा कि समीक्षा में निजी निवेश, रोजगार, निर्यात और मांग पर आधारित चक्र बनाने की सिफारिश भी की गई है। समीक्षा में निवेश को अर्थव्यवस्था के लिए मुख्य वाहक बताते हुए कहा गया है कि एमएसएमई के विकास को बढ़ावा देना होगा ताकि अधिकाधिक रोजगार सृजित हो सके। इसके साथ ही नए उद्योग को प्रोत्साहित कर उसे आगे बढ़ने में मदद करने की सिफारिश की गई है ताकि वे बड़े उद्योग बन सकें और अधिकाधिक रोजगार सृजित कर सकें।
 
मुख्य आर्थिक सलाहकार के तौर पर देश की पहला आर्थिक समीक्षा तैयार करने वाले सुब्रमण्यम ने डाटा और प्रौद्योगिकी का उपयोग कर लोगों के जीवन-यापन में सुगमता लाने की वकालत करते हुए कहा कि अदालतों में लंबित मामलों के निपटान में निवेश करने से भी अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। इसके लिए अलग से कुछ करने की जरूरत नहीं है सिर्फ अनुमोदित पदों को भरने तथा प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की दरकार है।
 
उन्होंने समीक्षा के ब्लू रंग में प्रकाशित किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि यह रंग देश के लिए नीले आकाश जैसी परिष्कृत और वृहद अर्थव्यवस्था के मॉडल का संकेतक है। श्रम सुधार को आगे बढ़ाकर भी रोजगार में वृद्धि की जा सकती है और राजस्थान ने ऐसा किया है। कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु में बढ़ोतरी किए जाने की सिफारिश करने वाले सुब्रमण्यम ने कहा कि दुनिया के कई देशों में ऐसा हो चुका है।
 
उन्होंने कहा कि भारतीय परिदृश्य में भी अगले 2 दशकों में स्थिति बहुत बदल जाएगी, क्योंकि दक्षिण भारत के राज्यों में अभी से ऐसी स्थिति बन चुकी है। बिहार, उत्तरप्रदेश और अन्य राज्यों की स्थिति अलग हो सकती है, लेकिन दक्षिण भारत में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या बढ़ने लगी है। इसके मद्देनजर उन्होंने सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाए जाने का सुझाव दिया है।

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