सपा को प्रचार के लिए रेडियो-टीवी पर सबसे अधिक समय

नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) को रेडियो और टेलीविजन पर प्रचार के लिए सबसे अधिक तीन -तीन घंटे का समय दिया है। आयोग ने पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय और राज्य स्तर के राजनीतिक दलों को रेडियो और टेलीविजन पर प्रचार के लिए समय का आवंटन कर दिया।
इन राज्यों में इन सभी दलों को कम से कम 45 मिनट का समय दिया गया है। इसके अलावा सभी दलों को पिछले विधानसभा चुनाव में उनके प्रदर्शन के आधार पर अतिरिक्त समय भी दिया गया है। किसी भी दल को एक स्लॉट में 15 मिनट से अधिक समय नहीं दिया गया है।
 
उत्तरप्रदेश में सपा को सबसे अधिक तीन घंटे चार मिनट, बहुजन समाज पार्टी को दो घंटे 49 मिनट, भाजपा को एक घंटा 57 मिनट और कांग्रेस को एक घंटा 41 मिनट का समय मिला है। पंजाब में कांग्रेस को सबसे अधिक तीन घंटे 51 मिनट, शिरोमणि अकाली दल को तीन घंटे 26 मिनट और भाजपा को एक घंटा 18 मिनट का समय दिया गया है। 
 
उत्तराखंड में कांग्रेस को सबसे अधिक दो घंटे 58 मिनट, भाजपा को दो घंटे 56 मिनट और बसपा को एक घंटा 33 मिनट का समय आवंटित किया गया है। गोआ में भाजपा को सबसे अधिक तीन घंटे 25 मिनट, कांग्रेस को तीन घंटे 07 मिनट और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी को एक घंटा 16 मिनट का समय मिला है। 
 
मणिपुर में कांग्रेस को चार घंटे 14 मिनट, तृणमूल कांग्रेस को दो घंटे 09 मिनट और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को एक घंटा 21 मिनट का समय दिया गया है। अलग-अलग दलों के प्रचार के प्रसारण की तिथि का निर्णय निर्वाचन आयोग और प्रसार भारती मिलकर लेंगे। 
 
प्रसारण में राजनीतिक दल अन्य देशों की आलोचना के साथ-साथ किसी धर्म या समुदाय की भी निंदा नहीं कर सकते। इसके अलावा हिंसा भड़काने वाली बातों और राष्ट्रपति तथा न्यायालय की अवमानना की भी अनुमति नहीं होगी। देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता को प्रभावित करने वाली टिप्पणी तथा किसी व्यक्ति का नाम लेकर पार्टियों को ऐसी टिप्पणी की भी अनुमति नहीं होगी जिससे देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता प्रभावित हो। किसी व्यक्ति का नाम लेकर उसकी आलोचना भी नहीं की जा सकती।
 
पार्टियों को अपनी प्रचार सामग्री प्रसारण की तिथि से पहले प्रसार भारती को देनी होगी और इसकी रिकार्डिंग भी करानी होगी। इसके अलावा प्रसार भारती दो वाद-विवाद कार्यक्रमों का भी आयोजन करेगी जिनमें राजनीतिक दल अपने प्रतिनिधि को पार्टी की राय रखने के लिए भेज सकते हैं।
 
राष्ट्रीय और राज्य स्तर के राजनीतिक दलों को लोकसभा और विधानसभा चुनावों में प्रचार के लिए रेडियो और टेलीविजन पर प्रचार समय आवंटित करने की योजना 1998 में शुरू की गई थी और इसके बाद से इन दलों को चुनाव प्रचार के लिए समय दिया जा रहा है। (वार्ता)

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