नज़्म

गीत - 15 अगस्त

गुरुवार, 14 अगस्त 2008
हमने मनाई ईद यहाँ पर, तुमने मनाई दीवाली देश में पंद्रह अगस्त लाया, सबके वास्ते ख़ुशहाली
सरहदों पर फ़तह का ऎलान हो जाने के बाद, जंग बे-घर, बे-सहारा, सर्द ख़ामोशी की आंधी में बिखर के

सावन बरसता है रिमझिम

शुक्रवार, 8 अगस्त 2008
कई दिन से सावन बरसता है रिमझिम हवा झूमती है घटा गा रही है
'आह! वो रातें, वो रातें याद आती हैं मुझे' आह, ओ सलमा! वो रातें याद आती हैं मुझे
है दुनिया जिस का नाम मियाँ ये और तरह की बस्ती है जो मंगों को तो मंहगी है और सस्तों को ये सस्ती है

नज़्म : मज़हब-ए-शायराना

बुधवार, 6 अगस्त 2008
कहते हैं जिसे अब्र वो मैखाना है मेरा , जो फूल खिला बाग़ में पैमाना है मेरा
गर्द-ओ-ग़ुबार याँ का ख़िलअत है अपने तन को मर कर भी चाहते हैं ख़ाक-ए-वतन कफ़न को

नज़्म : फ़िराक़ गोरखपुरी

गुरुवार, 24 जुलाई 2008
क्यों तेरे ग़म-ए-हिज्र में नमनाक हिं पलकें, कि याद तेरी आते ही तारे निकल आए

नज़्म : 'नया आशिक़'

बुधवार, 23 जुलाई 2008
हुस्न कम्प्यूटर से पूछेगा मुझे भी तो बता मेरा शोहर कौन होगा उसका नाम उसका पता...

नज़्म : दिलावर फ़िगार

मंगलवार, 22 जुलाई 2008
नस्ल-ए-नौ का दौर आया है नए आशिक़ बने अब सिवय्यों की जगह चलने लगे छोले चने
दरिया को अपनी मौज की तुग़यानियों से काम

नज्म : हज़ल फ़िराक

शनिवार, 12 जुलाई 2008
यारब मेरे नसीब में अकलेहलाल हो खाने को क़ोरमा हो, खिलाने को दाल हो

क़तआत ---बालस्वरूप राही

शनिवार, 12 जुलाई 2008
जानता हूँ कि ग़ैर हैं सपने और खुशियाँ भी ये अधूरी हैं

नज़्म : निदा फ़ाज़ली

मंगलवार, 8 जुलाई 2008

नज़्म : निदा फ़ाज़ली

मंगलवार, 1 जुलाई 2008

नज़्म : अकबर इलाहाबादी

मंगलवार, 24 जून 2008

नज़्म : अख्तर शीरानी

बुधवार, 18 जून 2008
सावन की घटाएँ छा गईं है , बरसात की परियाँ आ गई हैं