कहानियां यद्यपि काल्पनिक हैं, लेकिन ये उर्दू साहित्य की मिर्जा गालिब, मीर तकी मीर, शेख मुशाफी, बुद्धसिंह कलंदर, कांजीमल साबा जैसी ऐतिहासिक हस्तियों की भावना से परिपूर्ण हैं और ये 18वीं- 19वीं सदी की पृष्ठभमि की हैं।
उनकी कहानियों में उर्दू कवियों की रचनाओं की झलक दिखती है और ये उस मिथक को तोड़ने के लिए विविध हिन्दू-मुस्लिम पृष्ठभूमि से ली गई हैं, जो यह कहती है कि उर्दू मुसलमानों की भाषा है। बुद्धसिंह कलंदर, कांजीमल साबा, इखलास ये सभी हिन्दू थे।