पेशकश : अज़ीज़ अंसारी
(शब-ए-मेअराज के मुबारक मौक़े पर)
इतनी तो *जिला पाए मोहब्बत रसूल की------चमक
हर आईने में देख लूँ सूरत रसूल की
आँखों में अश्क, दिल में ख़लिश, रूह बेक़रार
*तकमील पा रही है, मोहब्बत रसूल की--------पूर्ण
ऎ *आज़िमान-राहे-अदम सब को छोड़ कर---- दूसरी दुनिया में जाने के शौक़ीन
ले जाओ अपने दिल में मोहब्बत रसूल की
दोनों जहान तेरे लिए *फ़र्शे-राह हैं--------- रास्ते की धूल, मिट्टी
कर बन्दगी ख़ुदा की *इताअत रसूल की-----आज्ञा का पालन करना
पहले *तलब थी फिर हुई दिल, दिल से ज़िन्दगी------ इच्छा
अब जान बन गई है मोहब्बत रसूल की
दोनों ही बेमिसाल हैं दोनों ही लाजवाब
सूरत रसूल की हो के *सीरत रसूल की------चरित्र
* ऎश-ओ-निशात सारे ज़माने को दे ख़ुदा------ दुनिया की सुख-सुविधाएँ
शे'री को अपने सिर्फ़ मोहब्बत रसूल की