1. हमें तो शामे-ग़म में काटनी है ज़िन्दगी अपनी
जहाँ वो हों वहीं ऎ चाँद ले जा चाँदनी अपनी
अगर कुछ थी तो बस ये थी तमन्ना आख़री अपनी
के वो साहिल पे होते और कश्ती डूबती अपनी
जो वो अपने हुए तो सारी दुनिया हो गई अपनी
चमन के फूल अपने, चाँद अपना, चाँदनी अपनी
ख़ुदा के वासते ज़ालिम घड़ी भर के लिए आजा
बुझानी है तेरे दामन से शम्मे-ज़िन्दगी अपनी
वहीं चलिए, वहीं चलिए तक़ाज़ा है मोहब्बत का
वो मेहफ़िल हाय! जिस मेहफ़िल में दुनिया लुट गई अपनी
2. अब रोके से कब रुकती है फ़रयाद किसी की
नश्तर की तरह चुभने लगी याद किसी की
थम-थम के बरसती हैं घटाओं पे घटाऎं
रेह-रेह के रुलाती है मुझे याद किसी की
मैं मिट गया लेकिन न मिटा इश्क़ किसी का
दिल मिट गया लेकिन न मिटी याद किसी की
3. अभी नहीं रविशे-ग़म पे इख़्तियार मुझे
ज़रा संभाल के ले चल ख़्याले-यार मुझे
मेरे गुनह की पशेमानियाँ ही क्या कम थीं
तेरे करम ने किया और शर्मसार मुझे
ख़्याले-यार को मैं भूल जाऊँ नामुमकिन
भुला सके तो भुला दे ख़्याले-यार मुझे
4. दिल को दीवाना किया, आँखों को हैराँ कर दिया
हुस्न बन कर उसने ने जब ख़ुद को नुमायाँ कर दिया
जज़बा-ए-बेताब-ए-वेहशत को नुमायाँ कर दिया
हमने दामन तक गरेबाँ को गरेबाँ कर दिया
अश्के-पेहम, नाला-ए-ग़म, इज़तरार-ओ-इज़तेराब
जो मोयस्सर आ गया वो उनपे क़ुरबाँ कर दिया
इज़्तेराब-ए-शौक़ को लेजा के अब तड़पूं कहाँ
वुसअत-ए-कोनेन को भी जिसने ज़िनदाँ कर दिया
देखना शे'री जमाले-यार की अफ़ज़ाइशें
ख़ुद नुमायाँ होके मुझको भी नुमायाँ कर दिया
5.नज़र से नज़र ने मुलाक़ात करली
रहे दोनों ख़ामोश और बात कर ली
अजब हाल है अपना दीवानगी में
कहीं दिन गुज़रा, कहीं रात कर ली
सरे-बज़्म उसने हमारे अलावा
इधर बात कर ली, उधर बात कर