रुपायन इन्दौरी के क़तआत

Aziz AnsariWD
वो उनका टूटजाना और बिखरन
ये सदमें हैं जो अक्सर झेलता हूँ
सदी में एक चौथाई है बाक़ी-----------
खिलौनों से मैं अब भी खेलता हूँ

कमतरी बरतरी* की बात न कर--------छोटा-बड़ा
ये छलावे हैं इनको दूर भगा
खुल के जीने की है अगर ख़्वाहिश
अपने एहसासे-ज़िन्दगी को जगा

एहतियाते-नज़र भी देता जा
क़ुव्वते-बाल-ओ-पर*भी देता जा-------हाथ-पाँव में ताक़त
सिर्फ़ हुक्मे-सफ़र न दे मुझको
कुछ तो रख़्ते-सफ़र*भी देता जा-------सफ़र में काम आने वाला सामान

कुछ करम में, कुछ सितम में, बाँट दी
कुछ सवाले-बेश-ओ-कम* में बाँट दी------कम-ज़्यादा के प्रश्न
ज़िन्दगी जो आप ही थी क़िबला-गाह*-----पवित्र स्थान
हमने वो देर-ओ-हरम*में बांट दी-------मन्दिर-मस्जिद

है हक़ीक़्त फिर भी अफ़साना सही
होश में ह फिर भी दीवाना सही
यूँ तो दिल है बारगाहे-कायनात*--------दुनिया का महल
आप कहते हैं तो वीराना सही

दिले-नादाँ* बनाता रहता है---------नासमझ दिल
रोज़े-फ़रदा की इस तरह तस्वीर----आने वाले कल का चित्र
जैसे कोई किसी से पूछता हो
अपने नादीदा* ख़्वाब की ताबीर**--------वो सपना जो देखा नहीं, **परिणाम, हक़ीक़त

नूर*की जैसे इक किरन पाकर------*रोशनी
आईना वक़्फ़े-नूर* होता है--------रोशनी ही रोशनी
ऎन ओजे-ख़ुदी*में ऎसे ही--------इश्क़ की ऊंचाई
बेख़ुदी का ज़हूर*होता है---------दीवानगी का प्रदर्शन

बुलंदी ख़ुद क़दम चूमेगी तेरे
ख़बर ले आप अपने बाल-ओ-पर*की-------हाथ-पाँव
अगर तेरा सफ़र तेरा सफ़र है
ज़रूरत क्या तुझे फिर हमसफ़र*की------साथी

इस करम*की नज़र को क्या कहिए------मेहरबानी
साज़िशे-फ़ितनागर*को क्या कहिए------दुश्मनों का षड़यंत्र
उसने रसमन किया है अहदे-वफ़ा-----प्यार करने का इक़रार
वादाए-मुख़्तसर*को क्या कहिए------छोटा वादा, झूटा वादा

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