कई बार आपने सफर करते समय पानी की बोतल खरीदी होगी और अगर पानी की बोतल की बात की जाए तो हमारे दिमाग में सबसे पहले बिसलेरी का ही नाम आता है। बिसलेरी ब्रांड (bisleri) भारत में काफी मशहूर है और यदि लोग किसी चीज़ की कॉपी करने लगे, तो आप उसकी सफलता का अंदाज़ा लगा सकते हैं।
भारतीय बाज़ार में बिसलेरी नाम के कई पानी की बोतल के ब्रांड मौजूद हैं फिर चाहे वो बेलसरी, बिलसेरी या ब्रिस्ले ही नाम क्यों न हो? इसलिए बिसलेरी ने अपनी टैगलाइन भी 'हर पानी की बोतल बिसलेरी नहीं होती' निर्धारित की।
कैसे हुई बिसलेरी की शुरुआत?
बिसलेरी की शुरुआत एक इटैलियन व्यवसायी सिगनोर फेलिस बिसलेरी द्वारा की गई थी, जिन्होंने शराब के उपाय के लिए बिसलेरी को विकसित किया था जिसमें सिनकोना, औषधि और नमक का प्रयोग किया गया था। सिगनोर फेलिस की मौत के बाद उनके करीबी दोस्त डॉ. रोसी बिसलेरी के नए मालिक बन गए। इसके बाद डॉ. रोसी के दोस्त के बेटे खुसरो संतुक का बिसलेरी की सफलता में काफी बड़ा योगदान रहा है।
भारत में कैसे हुई बिसलेरी की शुरुआत?
डॉ. रोसी और खुशरो संतुक ने 1965 में मुंबई के ठाणे में बिसलेरी वाटर प्लांट लगाया पर उनका प्लान सफल नहीं हुआ, क्योंकि उस समय भारत में कोई भी पानी पैसे देकर खरीदना नहीं चाहता था। पर उस समय भारत में पानी की क्वॉलिटी काफी ख़राब थी, जिसके कारण डॉ. रोसी को लगता था कि बिसलेरी का बिज़नेस भारत में ज़रूर सफल होगा।
भारतीय 5 स्टार होटल से की शुरुआत
भारतीय बाज़ार में बिसलेरी की शुरुआत बिसलेरी मिनरल वॉटर और बिसलेरी सोडा से हुई। शुरुआती दौर में बिसलेरी का उत्पादन बहुत सिमित था, क्योंकि सिर्फ अपर क्लास के लोग ही बिसलेरी का इस्तेमाल करते थे और बिसलेरी 5 स्टार होटल में मौजूद होती थी। भारत में बिसलेरी की सफलता का कारण पार्ले कंपनी के चौहान ब्रदर्स का था, जिन्होंने बिसलेरी को 1969 के बाद काफी सफल बनाया।