जस्टिस दिनेशचन्द्र शुक्ला रायबरेली के रहने वाले हैं। शुक्ला 2009 बैच के जुडिशरी सर्विस के अधिकारी हैं। उनका जन्म 1 जनवरी 1968 को हुआ था। न्यायिक सेवा में आने के बाद उन्होंने भदोही से जुडिशल मैजिस्ट्रेट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद साल 2011 में वे प्रयागराज में अडिशनल सिविल जज बने।
इसी मामले में अतीक के भाई अशरफ समेत सात को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। शासकीय अधिवक्ता गुलाबचंद्र अग्रहरि ने बताया कि विशेष न्यायाधीश दिनेश चंद्र शुक्ला की अदालत ने उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक अहमद, दिनेश पासी और वकील खान सौलत हनीफ को धारा 364 ए और 120 बी के तहत दोषी करार दिया और तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इस मामले में सात अन्य आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया।
2005 में हुई थी हत्या : बसपा के तत्कालीन विधायक राजू पाल की 25 जनवरी 2005 को हुई हत्या के मामले में उमेश पाल को गवाही नहीं देने के लिए कई बार धमकी दी गई थी और 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण करा लिया गया था। इसी मामले में मंगलवार को अतीक और उसके भाई अशरफ समेत 10 आरोपियों को मंगलवार को एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश किया गया। अशरफ को बरेली जेल से यहां लाया गया था।
2019 से साबरमती में है बंद : अतीक अहमद जून 2019 से अहमदाबाद के साबरमती सेन्ट्रल जेल में बंद है जबकि अशरफ जुलाई 2020 से बरेली जेल में बंद है। प्रयागराज में 24 फरवरी 2023 को उमेशपाल की हत्या कर दी गई। हत्याकांड के मामले में पूर्व सांसद माफिया अतीक अहमद, उसके भाई पूर्व विधायक अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, पुत्र असद, अली, उमर, शूटर, गुलाम, साबिर, मुस्लिम गुड्डू आदि के खिलाफ मुकदमा दर्ज है। Edited By : Sudhir Sharma