बसपा प्रमुख ने सोमवार को 'एक्स' पर अपने आधिकारिक खाते पर कहा कि बहुजनों के अम्बेडकरवादी कारवां को कमजोर करने की विरोधियों की साजिशों को विफल करने और बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर एवं कांशीरामजी की तरह ही मेरी जिन्दगी की आखिरी सांस तक बसपा के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान आंदोलन को समर्पित रहने का फैसला अटल है।
उन्होंने अगली पोस्ट में कहा कि अर्थात सक्रिय राजनीति से मेरा संन्यास लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है। जबसे पार्टी ने आकाश आनंद को मेरे न रहने पर या अस्वस्थता की स्थिति में बसपा के उत्तराधिकारी के रूप में आगे किया है, तब से जातिवादी मीडिया ऐसी फर्जी खबर प्रचारित कर रहा है जिससे लोग सावधान रहें।
मायावती ने यह भी कहा कि पहले भी मुझे राष्ट्रपति बनाए जाने की अफवाह उड़ाई गई जबकि कांशीरामजी ने ऐसी ही पेशकश को यह कहकर ठुकरा दिया था कि राष्ट्रपति बनने का मतलब है सक्रिय राजनीति से संन्यास लेना, जो पार्टी हित में उन्हें गंवारा नहीं था। तो फिर उनकी शिष्या को यह स्वीकारना कैसे संभव है?(भाषा)