उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष समेत चुनाव अभियान से जुड़े बड़े नेताओं की उम्मीदवारी से प्रचार में तालमेल का अभाव साफ नजर आ रहा है। जबकि, बहुजन समाज पार्टी से निकाले दागी मंत्रियों को उम्मीदवार बनाए जाने से बुंदेलखंड इलाके के कार्यकर्ताओं में असंतोष है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही देवरिया जिले की पथरदेवा सीट से प्रत्याशी हैं। विधानसभा चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और पार्टी उपाध्यक्ष कलराज मिश्र, लखनऊ (पूर्व) से तथा चुनाव समिति की संयोजक उमा भारती महोबा की चरखारी सीट से उम्मीदवार हैं।
मिश्र और भारती के चुनाव क्षेत्र में आगामी 19 फरवरी को मतदान होना है। मिश्र रोज अपने चुनाव क्षेत्र में नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं और उनका जनसंपर्क जारी हैं। प्रदेश अध्यक्ष को भी अपना ज्यादातर समय अपने विधानसभा क्षेत्र में ही गुजारना पड़ रहा है। शाही की प्रतिष्ठा इसलिए भी दांव पर है, क्योंकि वे पिछला विधानसभा चुनाव हार गए थे। पार्टी में बड़े पद पर रहे कलराज मिश्र पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं, लिहाजा उनके लिए भी यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल है।
भाजपा की उलझन : पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बड़े नेताओं के अपने चुनाव क्षेत्र में ही उलझकर रह जाने के कारण प्रचार अभियान प्रभावित हो रहा है। जबकि, अन्य दलों के बड़े नेता उम्मीदवारी से दूर हैं। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव पिछले तीन महीने से क्रांति रथ यात्रा से पार्टी के लिए जोरदार प्रचार में लगे हैं, जो खुद सांसद हैं।
इसी तरह मुख्यमंत्री मायावती भी चुनाव नहीं लड़ रही हैं। बसपा का चुनाव प्रचार पूरी तरह से उनके इर्द गिर्द ही घूमता है। कांग्रेस के प्रचार अभियान का पूरा जिम्मा महासचिव राहुल गाँधी के पास है। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी के दूसरे महासचिव दिग्विजय सिंह पूरे राज्य में चल रहे प्रचार पर नजर रखे हुए हैं।
बड़े नेता नदारद : भाजपा नेता ने कहा कि प्रदेश पार्टी मुख्यालय में भी कोई बड़ा नेता प्रचार पर नजर रखने के लिए नहीं है। इसलिए प्रचार में सामंजस्य की कमी साफ दिखाई दे रही है। बड़े नेताओं के खुद प्रत्याशी होने से मुश्किल और बढ़ गई है। केंद्रीय नेता सिर्फ राजधानी में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने ही आते हैं।
महोबा से मिली रिपोर्ट के अनुसार विधानसभा चुनाव में उमा भारती को आगे करके उत्तर प्रदेश में जीतने की मंशा पाले भाजपा को दागी प्रत्याशियों के कारण खासी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सदस्यता स्थगित करके पार्टी ने बाबूसिंह कुशवाहा मामले का अध्याय भले ही बंद कर दिया।
बादशाह से परेशानी : महोबा से दागी उम्मीदवार बादशाह सिंह की उम्मीदवारी मुश्किलें बढ़ा सकती हैं। दागी और दलबदलू को टिकट दिए जाने के मुद्दे पर संगठन में भड़की असंतोष की आग तमाम उपायों के बाद भी शांत नहीं हो पा रही है। इसका असर बुंदेलखंड की अन्य सीटों पर भी पड़े तो इसमें अचरज की कोई बात नहीं है। भाजपा उत्तर प्रदेश में अपने खोए जनाधार को हासिल करने के लिए सिद्धांतों का ही परित्याग कर देगी। इस पर पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता गहरे सदमे में हैं।
तमाम प्रकार से विरोध दर्ज कराने के बावजूद महोबा सदर सीट से बसपा सरकार से निष्कासित पूर्व मंत्री बादशाह सिंह को टिकट दिए जाने की बात को कार्यकर्ता पचा नहीं पा रहा है। गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले बादशाह के खिलाफ अब तक यहां के विभिन्न थाना क्षेत्रों में 19 मुकदमें दर्ज हैं तथा पुलिस ने इनकी हिस्ट्रीशीट भी खोल रखी है।
बादशाह सिंह के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की विभिन्ना धाराओं के तहत मामले दर्ज हैं। सिंह के खिलाफ करीब सात साल पुराना मौदहा का दशहरा कांड का मामला अभी विचाराधीन है। इस प्रकरण में हिन्दू और मुसलमान समुदाय का त्योहार नवरात्रि और मोहर्रम साथ-साथ पड़ने पर कस्बे में तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई थी। (एजेंसी)