उत्तरप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर मुसलमानों को नौ प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के बारे बयान देने और उस पर चुनाव आयोग की आपत्ति के बाद विवादों में घिरे केन्द्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने इस मामले में 'तत्काल और निर्णायक' हस्तक्षेप के लिए आयोग द्वारा राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से की गई शिकायत पर चुप्पी साध रखी है।
खुर्शीद ने राष्ट्रपति से उनके विरुद्ध आयोग की शिकायत के बारे में पूछे जाने पर कहा कि मैं इस संबंध में कोई बात नहीं करूंगा। क्या मैंने कभी आपसे (मीडिया) बात करने से मना किया है? जब मुझे कुछ कहना होता है तो मैं कहता हूं।
बाद में इस मसले पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक नेता आबिद हुसैन ने कहा कि यह मामला दो संवैधानिक संस्थाओं के बीच है और कैबिनेट मंत्री होने के नाते खुर्शीद इस संबंध में मीडिया से कोई बात नहीं करेंगे।
हुसैन ने कहा कि यह मामला राष्ट्रपति और चुनाव आयोग जैसी दो संवैधानिक संस्थाओं के बीच है और खुर्शीद ने इस मामले में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में दिए कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के इस बयान पर कि यदि वे (चुनाव आयोग) मुझे फांसी भी दे देते हैं तो भी मैं अल्पसंख्यकों के लिए नौ प्रतिशत आरक्षण की मांग पर कायम रहूंगा, आयोग ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को पत्र लिखकर इस मामले में 'तत्काल और निर्णायक' हस्तक्षेप का आग्रह किया है।
आयोग ने खुर्शीद पर आरोप लगाया है कि वे अल्पसंख्यक सब कोटा का वादा करने पर उसकी ओर से निंदा किए जाने संबंधी आदेशों का अनुचित और गैरकानूनी उल्लंघन कर रहे हैं।
पाटिल को लिखे अपने पत्र में आयोग ने कहा है कि खुर्शीद के कृत्य से उत्तरप्रदेश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव की स्थिति बिगड़ सकती है। इससे चुनाव आयोग बहुत ही परेशान है क्योंकि उसे संविधान से मिले दायित्वों को कानून मंत्री कमतर कर रहे हैं, जबकि उन पर चुनाव आयोग को नीचा दिखाने के बजाय उसके दर्जे को कायम रखने और मजबूत करने की सीधी जिम्मेदारी है।
चुनाव आयोग ने इससे पहले खुर्शीद की ऐसे ही बयान के लिए निंदा की थी और उसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करार दिया था। खुर्शीद ने आठ जनवरी को अल्पसंख्यक आरक्षण पर बयान दिया था। (भाषा)