Valentine day 2020 | प्रेम एक लाइलाज रोग है, बचके रहें वर्ना पछताएंगे

अनिरुद्ध जोशी

बुधवार, 5 फ़रवरी 2020 (15:38 IST)
कुछ लोगों के लिए प्रेम योग होता है और कुछ लोगों के लिए रोग। देखने में आया है कि ज्यादातर लोगों के लिए तो प्रेम रोग ही बन जाता है और वह भी ऐसा असाध्य रोग जिसकी दवा खोजना मुश्किल ही है। वर्तमान युग में कौन करता है नि:स्वार्थ प्रेम? यह तो सब किताबी बातें हैं। टीनएज में अक्सर यह रोग होता है और लड़कों या लड़कियों का करियर तबाह हो जाता है। फिल्में, वेलेंटाइ डे और बाजारवाद को इस रोग से लाभ मिलता है, लेकिन देश का भविष्य दांव पर लग जाता है।
 
 
'पागल प्रेमी' या 'दीवाना प्रेमी' नाम तो आपने सुना ही होगा। इस तरह के प्रेमियों के कारनामे भी अखबारों की सुर्खियां बनते हैं। कोई अपने हाथ पर प्रेमिका का नाम गुदवा लेता है तो कोई प्रेम में जान भी दे देता है। कितने पागल होंगे वे लोग जो खून से पत्र लिखते हैं। इससे भी भयानक यह कि जब ‍कोई प्रेमिका उसका साथ छोड़कर चली जाती है तो फिर वो उसका कत्ल तक कर देते हैं या उस पर तेजाब फेंक देते हैं। अब आप ही सोचे क्या यह प्रेम था। प्रेम में हत्या और आत्महत्या के किस्से हम सुनते आए हैं। यह सब किस्से उन लोगों के हैं जो या तो कामवासना से भरे रहते हैं या फिर चाहत, आकर्षण से चिपक जाते हैं। राधे जैसी फिल्में भी उनके सर चढ़कर बोलती है। फीजिकल एट्रेक्शन को जानवरों में भी होता है।
 
 
आजकल प्यार करने या होने का प्रचलन जरा ज्यादा होने लगा है। अब तो ऐसा करके लिव इन का प्रचलन भी बढ़ गया है। मतलब आजकल के लड़के और लड़कियां प्यार से एक कदम आगे निकल चुके हैं। सचमुच जमाना बदल गया है, लेकिन एक बात अभी तक नहीं बदली और वह यह है कि प्यार में टेंशन, बंधन, बेवफाई, धोखा और क्राइम। आज भी यह सब जारी है।
 
 
अमेरिकी पत्रिका 'सायकोलॉजी टुडे' के संपादक रोबर्ट एप्सटेन ने कभी कहा था कि उन्होंने एक ऐसी प्रक्रिया तैयार की है, जिसमें छह महीनों में एक-दूसरे के प्रति प्यार पैदा किया जा सकता है। दूसरी ओर अगर यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल की डॉ. लेसेल डॉसन के शोध पर आपने विश्वास किया तो आपको हैरानी होगी। उनका कहना है कि दुनिया में प्यार एक बीमारी है और इस बीमारी का इलाज सिर्फ सेक्स है।
 
 
रूस की ड्यूक यूनिवर्सिटी में सम्मोहन के प्रयोग चलते थे। उनका मानना है कि जो बात व्यक्ति के आत्मसम्मान से जुड़ी है उसे छोड़कर सम्मोहन की अवस्था में उससे हर कार्य कराया जा सकता है। मसलन किसी भी व्यक्ति के मन में किसी के भी प्रति प्रेम जाग्रत किया जा सकता है। चाहे वह दुनिया की सर्वाधिक काली लड़की हो, लेकिन सम्मोहनकर्ता उसे इस बात का विश्वास दिला देगा कि वही लड़की तेरे लिए बनी है।
 
 
शरीर ही शरीर से प्रेम करता है :
क्या प्रेम का परिणाम संभोग है या कि प्रेम भी गहरे में कहीं कामेच्छा ही तो नहीं? फ्रायड की मानें तो प्रेम भी सेक्स का ही एक रूप है। किशोर अवस्था में प्रवेश करते ही लड़के और लड़कियों में एक-दूसरे के प्रति जो आकर्षण उपजता है उसका कारण उनका विपरीत लिंगी होना तो है ही, दूसरा यह कि इस काल में उनके सेक्स हार्मोंस जवानी के जोश की ओर दौड़ने लगते हैं। तभी तो उन्हें राजकुमार और राजकुमारियों की कहानियां अच्छी लगती हैं। फिल्मों के हीरो या हीरोइन उनके आदर्श बन जाते हैं।
 
 
आकर्षित करने के लिए जहां लड़कियां वेशभूषा, रूप-श्रृंगार, लचीली कमर एवं नितम्ब प्रदेशों को उभारने में लगी रहती हैं, वहीं लड़के अपने गठे हुए शरीर, चौड़े कंधे और रॉक स्टाइलिश वेशभूषा के अलावा बहादुरी प्रदर्शन के लिए सदा तत्पर रहते हैं। आखिर वह ऐसा क्यूं करते हैं? क्या यह यौन इच्छा का संचार नहीं है?
 
 
प्यार नहीं मिला तो टेंशन और मिल गया तो भी टेंशन। वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि इजहार कर ही दिया तो फिर नया खेल शुरु होता है जो कुछ दिन तक तो अच्छे अहसास के साथ चलता है, लेकिन फिर धीरे-धीरे उसमें टेंशन पैदा होने लगता है। बेवफाई का डर भीतर ही भीतर सालता रहता है। यदि प्यार में बेवफाई का सामना करना पड़े तो फिर दिल के दौरे की संभावना बढ़ सकती है बशर्तें की आप अपने प्रेमी या प्रेमिका से कितने जुड़े हैं यह इस पर तय होता है। अतत: मूल रूप से कहना होगा कि शरीर ही शरीर से प्रेम करता है कोई प्रेमवेम नहीं होता है। 
 

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