प्यार मानव जीवन का सबसे आवश्यक एवं बेहद खूबसूरत जज्बा है, इसे आपस में बाँटने तथा दिलों के बीच की दूरियों को कम करके आपसी संबंधों को स्थायित्व प्रदान करने तथा अपनेपन का संबल देने के उद्देश्य से 'प्रेम दिवस' (वेलेंटाइन डे) मनाया जाता है। वेलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता है। इसकी शुरुआत कब, कहाँ और कैसे हुई, इसके पीछे कई मान्यताएँ हैं। लेकिन उन सभी मान्यताओं में प्रायः इस बात का उल्लेख सभी में प्रमुखता से मिलता है।
इसके अनुसार इंग्लैंड में आज से 700 वर्ष पूर्व सन् 1400 ई. में 'वेलेंटाइन डे' मनाने की शुरुआत हुई। ऐसा माना जाता है कि प्रेम के दूत, प्रेम भावना के संवाहक माने जाने वाले रोम के पादरी संत वेलेंटाइन की स्मृति को समर्पित यह दिन 14 फरवरी को 'वेलेंटाइन डे' के रूप में मनाया जाता है। जबकि इस दिन को मनाए जाने के पीछे कोई ठोस वस्तुपरक जानकारी कहीं उपलब्ध नहीं है।
इसी बीच कुछ ऐसी परंपराएँ भी बन गईं जिसके अनुसार स्त्रियाँ अपने भावी पति का नाम भी प्रकट करती हैं। 17वीं सदी में इंग्लिश स्त्रियाँ अपने मनोवांछित भावी पति का नाम कागज के एक टुकड़े पर लिखकर उसे मिट्टी के टुकड़े में रोल करके पानी से भरे किसी पात्र में डाल देती थीं। फिर जिस स्त्री का लिखा हुआ कागज सर्वप्रथम पानी की सतह पर आ जाता था, उसका प्यार सच हो जाता था।
खैर, हमें इस पर्व के पीछे प्रचलित मान्यताओं के इतिहास को नहीं खोदना है। बल्कि पाश्चात्य देशों से आकर भारतीय संस्कृति को धीरे-धीरे अपने रंग में रंगने वाले इस अनूठे पर्व का भरपूर आनंद उठाना है। मर्यादा की सीमाओं का उल्लंघन किए बगैर आपसी, प्रेम, सौहार्द तथा विश्व बंधुत्व की भावना का दायरा विस्तृत करना है।
वैसे कहने को तो प्यार, मुहब्बत, इश्क, लव, स्नेह आदि कई नाम हैं। लेकिन सबका अर्थ एक ही है। प्यार एक रोमांचक अहसास की सुखद एवं अवर्णनीय अनुभूति है। प्यार की परिभाषा शब्दों से परे है। वैसे प्यार कब, कहाँ, क्यों, और कैसे व किससे हो जाए, इसके लिए कोई स्थान, समय, तारीख, दिन या व्यक्ति विशेष आदि बातें पहले से तय नहीं हैं और न ही प्यार की कोई सीमा रेखा है।
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लेकिन 'वेलेंटाइन डे' के कारण आजकल जनमानस में सामान्य तौर पर एक ऐसी मान्यता बन गई है कि जो युवा युवक-युवती किसी को प्यार तो करते हैं,लेकिन वे आज तक अपने प्यार का इजहार एक दूसरे से रूबरू होकर नहीं कर पाए वे प्रेमी इस दिन 14 फरवरी अर्थात् 'लवर्स डे' (प्रेम दिवस) के दिन अपने प्यार का इजहार अपने प्रिय के सम्मुख करते हैं। इजहार करने का माध्यम ग्रीटिंग कार्ड, दूरभाष, लाल गुलाब या अन्य किसी भी वस्तु का आदान-प्रदान आदि हो सकता है।
बसंत अपने आप में प्रेम और उल्लास व उमंग का प्रतीक पर्व है। भारतीय संस्कृति के अनुसार बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की देवी सरस्वती की आराधना करके अज्ञानता के भय से मुक्ति की कामना की जाती है। बसंतोत्सव भारतीय परंपरागत उल्लास पर्व है, ऐसा नहीं है कि बसंत के आगमन पर हम भारतीय ही बसंतोत्सव मनाते हों, यह पर्व विदेशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। बस इसमें थोड़ा-सा फर्क जरूर है कि हमारे यहाँ बसंत का पर्व बसंत पंचमी चंद्र पंचांग के अनुसार मनाया जाता है, जिसके कारण यह पर्व हर किसी वर्ष किसी भी तारीख कोपड़ता है। जबकि पश्चिमी देशों में बसंत पर्व मनाए जाने की एक निश्चित तारीख है 14 फरवरी।
फरवरी का महीना 'बसंतोत्सव' आरंभ होते ही सभी की धड़कनें तेज हो जाती हैं। खासतौर पर युवा दिलों की। सभी को 14 फरवरी का बड़ी बेसब्री से इंतजार रहता है। और जैस-जैसे यह दिन नजदीक आता है वैसे-वैसे जवाँ दिलों में उल्लास और उमंग व रोमांच कई गुना बढ़ता जाता है। ऐसा नहीं है कि यह दिन सिर्फ प्रेमी युगल के लिए यादगार है बल्कि दूसरे रिश्तों को मजबूती प्रदान करने में भी इस दिन की अहम भूमिका होती है।
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यहाँ पर प्यार का अर्थ सिर्फ युवक-युवती के बीच होने वाले स्नेहिल संबंधों से नहीं है बल्कि उस प्रिय व्यक्ति की चाहत से है जिसकी खातिर हम अपना सर्वस्व तक न्योछावर करने का हसीन जज्बा इस दिल में रखते हैं।
सभी प्रकार के सामाजिक एवं धामिक व जातीय बंधनों से मुक्त युवा पीढ़ी इसे बड़े प्रेमपूर्वक मनाती है। वर्तमान युवा पीढ़ी पढ़ी-लिखी एवं सुसभ्य होने के कारण दूसरे लोगों की जाति, धर्म, मजहब, रंग आदि बातों में भेद नहीं करती है क्योंकि उसकी सोच का दायरा विस्तृतहै। उसकी खुली मानसिकता के कारण उसने समय की माँग के अनुसार पुरानी रूढ़ियों को पीछे छोड़ दिया है। वह तो केवल दोस्ती में विश्वास करती है। इसी कारण चारों ओर प्रेम की कोमल भावना भी प्रस्फुटित हो रही है।
पहले केवल पुरुष वर्ग ही अपनी वेलेंटाइन या प्रेमिका को लाल गुलाब और कार्ड आदि उपहार स्वरूप देते थे। किंतु वर्तमान आधुनिक परिवेश में युवतियाँ भी अपने प्रेमियों को प्यार के संदेशों से ओत-प्रोत ग्रीटिंग कार्ड और अन्य उपहार आदि देने में पीछे नहीं हैं।
यह दिन अपने आप में कितना अनमोल है। इसका अनुमान हम इस बात से ही लगा सकते हैं कि इस दिन दुनियाभर के प्रेमी अपने प्रियजनों को उपहार के रूप में कई एकड़ क्षेत्रफल में खिले गुलाब के फूल, कई टन चाकलेट और बाल्टियों शैम्पैन देते हैं। यह सिलसिला गत 700 वर्षों से अनवरत है।
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14 फरवरी के दिन लाल गुलाब का अपना विशिष्ट महत्व होता है। इस दिन कितने गुलाब तोहफे के रूप में भेंट किए जाते हैं। इसकी गिनती आज तक कभी नहीं की गई।
फिर भी यह तय एवं सच है कि वेलेंटाइन डे पर सर्वाधिक लाल गुलाब का तोहफा दिया जाता है। लाल गुलाब का इतना अत्यधिक आदान-प्रदान पूरे वर्ष के दौरान अन्य किसी और उत्सव दिवस या त्योहार के दिन नहीं किया जाता है। इस दिन सुर्ख लाल गुलाब की माँग इतनी अधिक बढ़ जाती है कि कई देशों में इसका आयात बढ़ जाता है। इसराइल और दक्षिण अमेरिका में इस दिन के लिए गुलाब के सारे बगीचे वीरान कर दिए जाते हैं क्योंकि प्रेम से बढ़कर संसार में कुछ भी नहीं है।
इन दिनों बाजार में माहौल देखते ही बनता है। अलग-अलग प्रेम संदेशों से सजे ग्रीटिंग कार्ड और दिल के आकारों की उपहार सामग्री युवाओं में खास आकर्षण का केंद्र होती है। वैसे तो सभी युवक-युवती आपस में एक-दूसरे की पसंद एवं आवश्यकतानुसार उपहार देते ही हैं।
लेकिन सामान्य तौर पर उपहार खरीदते समय सामने वाले की आवश्यकता और उसकी पसंद आदि को ध्यान में रखकर उपहार सामग्री का क्रय किया जाए तो सोने पे सुहागा होगा। और एक खास बात उपहार देते-लेते समय अपने प्रेम तथा विश्वास की खुशबू सदैव बिखेरते हुए जीवन महकाते रहेंगे। क्योंकि इस दिन को मनाने का मूल उद्देश्य ही प्रेम बाँटना एवं प्रेम का अनंत छोर तक विस्तार करना है।
इस दिन युवक-युवतियों को विशेष चेतावनी दी जाती है कि वे आपस में लड़ाई आदि तो भूलकर भी न करें। इस दिन सभी पुरानी गलतियों को भूल जाएँ और केवल यह सोचें कि आज से एक प्रेम भरे नए जीवन की शुरुआत हो रही है। वैसे तो सदैव एक-दूसरे की भावनाओं का ध्यान रखें, एक-दूसरे को प्राथमिकता दें तथा आपसी विश्वास सदैव बनाए रखें। लेकिन इस दिन छोटी-छोटी बातों का विशेष ध्यान रखें ताकि बिना किसी कटु अनुभव के वर्ष भर प्रेम दिवस की याद दिलों में ताजा बनी रहे।