माघ मास में खासकर भगवान विष्णु और पितृदेव की पूजा का महत्व होता है। साथ ही प्रत्येक तिथि के अलग अलग देवताओं की उनकी तिथि के समय पूजा की जाती है। पंचमी तिथि के देवता हैं नागराज। इस तिथि में नागदेवता की पूजा करने से विष का भय नहीं रहता, स्त्री और पुत्र प्राप्ति होती है। यह लक्ष्मीप्रदा तिथि हैं।
श्रावण मास और माघ मास की पंचमी तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन बसंत पंचमी रहती है और इस दिन माता सरस्वती की पूजा भी होती है। ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग हैं। इस दिन अष्ट नागों की पूजा प्रधान रूप से की जाती है। अष्टनागों के नाम है- अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख।
हर साल माघ मास की शुक्ल पंचमी पर भगवान शिव और नागदेवता की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रख रहे हैं तो चतुर्थी के दिन एक बार भोजन करें तथा पंचमी के दिन उपवास करके शाम को अन्न ग्रहण किया जाता है। नागों की पूजा करने के लिए उनके चित्र या मूर्ति को लकड़ी के पाट के उपर स्थापित करके पूजन किया जाता है। मूर्ति पर हल्दी, कंकू, रोली, चावल और फूल चढ़कर पूजा करते हैं और उसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर नाग मूर्ति को अर्पित करते हैं। पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है। अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनते हैं। कई लोग शिवमंदिर में जाकर नाग देवता की पूजा करते हैं।