ज्ञान की देवी सरस्वती के विदेशों में हैं अलग-अलग नाम

वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की आराधना विशेष रूप से की जाती है। देवी सरस्वती हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी है, जिसे ज्ञान और विद्या की देवी माना गया है। वाग्देवी, भारती, शारदा आदि नामों से पूजित इस देवी के बारे में कहा जाता है, ये मूर्ख को भी विद्वान बना सकती हैं।

धर्मग्रंथों और पुराणों में इनके रूप-रंग को शुक्लवर्णा और श्वेत वस्त्रधारिणी बताया गया है, जो वीणावादन के लिए तत्पर और श्वेत कमल पुष्प पर आसीन रहती हैं।   सदियों के देवी सरस्वती की पूजा भारत और नेपाल में होती आ रही है। माघ पंचमी, जिसे वसंत पंचमी भी कहते हैं, उस दिन देवी सरस्वती की आराधना विशेष रूप से की जाती है। 
 
लेकिन देवी सरस्वती की आराधना केवल भारत और नेपाल में ही नहीं, बल्कि इंडोनेशिया, बर्मा (म्यांमार), चीन, थाईलैंड, जापान और अन्य देशों में भी होती है। देवी सरस्वती को बर्मा (म्यांमार) में थुयथदी, सूरस्सती और तिपिटका मेदा (Tipitaka Medaw), चीन में बियानचाइत्यान (Bianchaitian), जापान में बेंजाइतेन (Benzaiten) और थाईलैंड में सुरसवदी (Surasawadee) के नाम से जाना जाता है। 
 
इसमें कोई सन्देह नहीं है कि ज्ञान की पूजा का महत्व सदियों से है और यह आगे भी रहेगा। यही कारण है कि दुनिया के लगभग हर देश ज्ञान की देवी और देवताओं परिकल्पना की गई है। जर्मनी में स्नोत्र को ज्ञान, सदाचार और आत्मनियंत्रण की देवी माना गया है। वहीं फ्रांस, स्पेन, इंग्लैंड, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया सहित कई यूरोपीय देशों में ज्ञान और शिल्प की देवी के रूप में मिनर्वा का स्मरण किया जाता है। उसे कताई-बुनाई, संगीत, चिकित्सा शास्त्र और गणित सहित रोजमर्रा के कार्यो में निपुणता की देवी माना गया है। 
 
प्राचीन ग्रीस में एथेंस शहर की संरक्षक देवी एथेना को ज्ञान, कला, साहस, प्रेरणा, सभ्यता, कानून-न्याय, गणित, जीत की देवी माना गया. जापान की लोकप्रिय देवी बेंजाइतेन को हिंदू देवी सरस्वती का जापानी संस्करण कहा जाता है। इस देवी के नाम पर जापान में कई मंदिर हैं। 

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