26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन वसंत पंचमी का पर्व भी मनाया जाएगा। इस दिन मां सरस्वती की पूजा के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी होती है। इसी दिन कामदेव की आराधना भी होती है। इसी दिन नागराज तक्षक की पूजा भी होती है। आओ जानते हैं कि कैसे करें शुभ मुहूर्त में ज्ञान, विद्या, बुद्धिमत्ता, कला और संस्कृति की देवी मां सरस्वती की पूजा और आरती।
दो सरस्वती : सरस्वती नाम से दो देवियों का उल्लेख मिलता है। ऐसी मान्यता है कि एक विद्या की देवी और दूसरी संगीत की देवी। दोनों की ही पूजा करना चाहिए। बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी। एक कमल पर विराजमान है और दूसरी हंस पर।
शुभ मुहूर्त :-
- पूजा मुहूर्त : प्रात: 07:12:26 से 12:33:47 तक।
- अभिजित मुहूर्त : दोहपर 12:12 से 12:55 तक।
- विजय मुहूर्त : दोपहर 02:21 से 03:04 तक।
- अमृत काल : दोपहर 02:22 से 03:54 तक।
- गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:52 से 06:19 तक।
शुभ संयोग :-
- शिव योग : दोपहर 03:28:16 तक रहेगा।
- सिद्ध योग : दोपहर 03:28:16 से सिद्ध योग प्रारंभ होगा जो अगले दिन दोपहर 03:28:16 तक रहेगा।
- रवि योग : शमा 06:57 से अगले दिन सुबह 07:12 तक।
- सर्वार्थ सिद्धि योग: शाम 06:57 से अगले दिन सुबह 07:12 तक।
सरस्वती पूजा विधि | Basant Panchami Puja Vidhi :-
- इस दिन श्री गणेश जी की पूजा के बाद कलश स्थापना कर देवी सरस्वती का पूजन आरंभ करने का नियम है।
- माता सरस्वती की पूजा पंचोपचार या षोडशोपचार विधि से करनी चाहिए।
- स्नान से निवृत्त होकर स्वच्छ केशरिया, पीले, वासंती या सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।
- मां सरस्वती के चित्र या मूर्ति को पाट पर विराजमान करें।
- पाट के आगे रंगोली बनाएं।
- फूलों से मां सरस्वती पूजन स्थल का श्रृंगार करें।
- पीले रंग के चावल से ॐ लिखकर पूजन करें।
- मां सरस्वती जी के पूजा के समय यह श्लोक पढ़ें-
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।। कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।