Vastu Dosha : यदि आपके घर में वास्तु दोष है और वह किसी भी प्रकार की तोड़फोड़ करने के बाद ही ठीक हो सकता है तो हमारी सलाह है कि एक बार ये उपाय आजमा कर देखें और फिर भी कोई असर न हो तो फिर किसी वास्तु शास्त्री से संपर्क करके समस्या का समाधान कर लें। आओ जानते हैं कि हम किस तरह बिना तोड़फोड़ वास्तु दोष दूर कर सकते हैं।
दक्षिणमुखी मकान : यदि आपका घर दक्षिणमुखी है तो घर के सामने द्वार से दोगुनी दूरी पर या फिर आग्नेय कोण में नीम का पेड़ लगा सकते है। जिसकी आपको प्रतिदिन देखभाल करना होगी।
टॉयलेट का वास्तु दोष : यदि अटैच लेट-बॉथ है, टॉयलेट टूटी फूटी या दरारों वाली हैं या शौचालय गलत दिशा में बन गया है तो एक मोटे कांच के बर्तन में खड़ा नमक रखें और उसे टॉयलेट के एक कोने में रख दें। इसीके सात टॉयलेट के बाहर दरवाजे पर या उसके उपर शिकार करते हुए शेर का चित्र लगा दें।
साफ-सफाई और सुगंध : घर की नियमित अच्छे से साफ-सफाई करके चारों और सुगंधित वातावरण निर्मित करने के लिए सुगंध का उपयोग करें। जहां गंदा होता है वहां राहु सक्रिय रहता है और जहां दुर्गंध रहती है वहां पर शुक्र अस्त हो जाता है। खाकर टॉयलेट और बाथरूप को साफ सुथरा रखकर सुगंधित बनाकर रखें।
उत्तर और ईशान में रखें हवा और प्रकाश के रास्ते : यदि आपकी दक्षिण में खिड़की है तो मोटा परदा लगाएं और दरवाजा है तो उसके सामने नीम का पेड़ लगा दें। यदि संभव हो तो उत्तर में उजालदान रखें। यदि उत्तर या ईशान में ही खिड़की दरवाजे हैं तो फिर कुछ भी करने की जरूरत नहीं उसे सुंदर बनाकर रखें।
घर को बनाएं सुंदर : घर को सुंदर चित्रों, पर्दों, सुंदर वस्तुओं से सजाएं। जैसे गुलदस्ता, पेंटिंग, फूल, पारंपरिक चित्रकारी, मांडना, झुमर, लटकन आदि वस्तुओं से उसे अच्छे से सजाएं।
दरवाजा बनाएं मजबूत और सुंदर : घर का मुख्य द्वार की चौखट और दहलीज को मजबूत लकड़ी का मनाएं और उसे सुंदर भी बनाएं। उसपर वंदनवार लगाएं, शुभ, लाभ और ॐ का चिन्ह भी लगाएं। दहलीज को भी पारंपरिक तरीके से बनाकर उसके दोनों ओर स्वास्तिक लगाएं। आसपास सुंदर फूलों वाले गमले लगाएं और दरवाजे की नियमित सफाई करें।
नल से पानी का टपकना : घर में नल से पानी टपकता रहता है तो यह अशुभ माना जाता है। आपके किचन, रसोई घर, दीवार व अन्य किसी भी जगह नल टपकना नकारात्मकता को जन्म देकर आर्थिक नुकसान के साथ ही सेहत संबंधी समस्याएं भी पैदा करता है। दीवारों में कहीं से पानी चू रहा है तो इसे भी ठीक कराएं। नल से पानी का टपकना आर्थिक क्षति का संकेत है। टपकते नल को जल्द से जल्द ठीक करवाएं। घर में किसी भी बर्तन से पानी रिस रहा हो तो उसे भी ठीक करवाएं। छत पर रखी पानी की टंकी से पानी बहता हो तो उसे भी ठीक करवाएं।
कमरों का रंग : प्रवेश कक्ष यानी दरवाजे से अंदर आते ही जो कमरा सबसे पहले आता है, वहां सफेद, हल्का हरा, गुलाबी व नीला रंग करवाना शुभ परिणाम देता है। लिविंग रूम/बैठक कक्ष में हमेशा पीला, मटमैला, भूरा, हरा रंग शुभ होता है। भोजन कक्ष में आप हरा, नीला या हल्का गुलाबी, हल्का रंग का प्रयोग कर सकते हैं। ये तीनों रंग इस कमरे के लिए शुभ होते हैं। मुख्य शयन कक्ष में हरा या नीला, गुलाबी, हल्का रंग का प्रयोग किया जाना चाहिए, जो वास्तु के अनुसार इस कमरे के लिए शुभता प्रदान करते हैं। बच्चों का कोई कमरा हो, या फिर जहां पर बच्चों को सुलाया जाता है वहां की दीवारों पर काला, नीला या हरा रंग शुभ होता है।
रसोईघर यानी किचन में हमेशा शांतिदायक सफेद रंग शुभ होता है, जो वहां की ऊर्जा को सकारात्मकता प्रदान करता है। पूजा व आध्यात्म से संबंधित कमरे में सदैव गुलाबी, काला, हरा, लाल रंग करवाया जाना ही शुभ फल प्रदान करता है। स्नान घर/ बाथरूम का अंदरूनी रंग गुलाबी, काला, स्लेटी या सफेद हो तो वह शुभता व सकारात्मकता प्रदान करता है। अध्ययन कक्ष अर्थात् जहां पर पढ़ाई या लिखा-पढ़ी का काम किया जाता हैं, उसमें हरा, लाल, गुलाबी, नीला, हल्का भूरा, हल्का रंग शुभ होता है।
अन्य महत्वपूर्ण उपाय :
घर में पूजाघर है तो किसी लाल किताब के विशेषज्ञ से पूछकर ही पूजा घर बनवाएं और किसी देवी-देवता की एक से ज्यादा मूर्ति या तस्वीर न रखें।
तिजोरी में हल्दी की कुछ गांठ एक पीले वस्त्र में बांधकर रखें। साथ में कुछ कोड़ियां, इत्र की शिशी, चंदन की बट्टी, चांदी, तांबें आदि के सिक्के भी रखें। कुछ चावल पीले करके तिजोरी में रखें।
प्रतिदिन सुबह और शाम को कपूर जलाएं। घर के किसी स्थान पर वास्तु दोष हो तो वहां कपूर की एक डली बगैर जलाए रख दें। कर्पूर जलाने से देवदोष व पितृदोष का शमन होता है।
सप्ताह में एक बार (गुरुवार को छोड़कर) समुद्री नमक से पोंछा लगाने से घर में शांति रहती है। घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर घर में झगड़े भी नहीं होते हैं तथा लक्ष्मी का वास स्थायी रहता है।
घर में या वॉशरूप में कहीं भी मकड़ी का जाला न बनने दें। घर में कहीं भी कचरा या अटाला जमान न होने दें। छपर पर बांस न रखें और किसी भी प्रकार की अनुपयोगी वस्तुएं भी न रखें।
कभी भी ब्रह्ममुहूर्त या संध्याकाल को झाड़ू नहीं लगाना चाहिए। झाड़ूं को ऐसी जगह रखें जहां किसी अतिथि की नजर न पहुंचे। झाड़ू को पलंग के नीचे न रखें।
घर को साफ सुधरा और सुंदर बनाकर रखें। घर के चारों कोने साफ हों, खासकर ईशान, उत्तर और वायव कोण को हमेशा खाली और साफ रखें।
वॉशरूम को गीला रखना आर्थिक स्थिति के लिए बेहतर नहीं होता है। प्रयोग करने के बाद उसे कपड़े से सुखाने का प्रयास करना चाहिए।
दक्षिण और पश्चिम दिशा खाली या हल्का रखना करियर में स्थिरता के लिए शुभ नहीं है। इसलिए इस दिशा को खाली न रखें।
घर में काले, कत्थई, मटमेले, जामुनी और बैंगनी रंग का इस्तेमाल न करें। चाहे चादर, पर्दे या हो दीवारों का रंग।
घर में फर्श, दीवार या छत पर दरार न पड़ने दें। अगर ऐसा हो तो उन्हें तुरंत भरवा दें। घर में दरारों का होना अशुभ माना जाता है।
बिस्तर के सामने आईना कतई न लगाएं। डबलबेड के गद्दे दो हिस्सों में न हो। शयन कक्ष में धार्मिक चित्र नहीं होना चाहिए। बेडरूम में लाल रंग का बल्ब नहीं होना चाहिए। नीले रंग का लैम्प चलेगा। खराब बिस्तर, तकिया, परदे, चादर, रजाई आदि नहीं रखें।
इस कक्ष में टूटा पलंग नहीं होना चाहिए। पलंग का आकार यथासंभव चौकोर रखना चाहिए। पलंग की स्थापना छत के बीम के नीचे नहीं होनी चाहिए। शयन कक्ष के दरवाजे के सामने पलंग न लगाएं। लकड़ी से बना पलंग श्रेष्ठ रहता है।
शयन कक्ष में झाड़ू, जूते-चप्पल, अटाला, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, टूटे और आवाज करने वाले पंखें, टूटी-फूटी वस्तुएं, फटे-पुराने कपड़े या प्लास्टिक का सामान न रखें।
वॉशरूम में नीले रंग की बाल्टी रखें और नहाने के लिए लकड़ी या पत्थर का पाट रखें।
स्नानघर में किसी भी तरह की तस्वीर नहीं लगाना चाहिए बल्की उचित दिशा में एक छोटासा दर्पण होना चाहिए। स्नानघर में मनी प्लांट लगाना अच्छा होता है। स्नानघर में वास्तुदोष दूर करने के लिए नीले रंग के मग और बाल्टी का उपयोग करना चाहिए।
घर के आसपास केला, तुलसी, मनी प्लांट, अनार, पीपल, बड़, आम, नारियल, बांस, जामुन और जामफल के पेड़ पौधे होना चाहिए, कांटेदार नहीं।
हमेशा समय समय पर द्वार और देहली की पूजा करें और इसे साफ सुथरा रखें।
हर रूम के लिए अलग-अलग रंगों का सुंदर सा करपेट लाएं और उसे बिछाएं। उस कारपेट की प्रतिदिन अच्छे से साफ रखें।
घर के प्रत्येक रूप के मध्य में मांडना मांडे। घर के द्वार के बाहर रंगोली बनाए। रंगोली या मांडना हमारी प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति की समृद्धि के प्रतीक हैं। इससे घर परिवार में मंगल रहता है।
घर के दरवाजे के उपर अंदर और बाहर गणेशजी के चित्र लगाना चाहिए। द्वार के दाएं और बाएं शुभ और लाभ लिखें और द्वार पर वंदरवार लगाएं जिसमें बेल-बूटे, नक्काशी या सुंदर चित्र बने हों।
दरवाजे की देहली भी अच्छी और मजबूत होना चाहिए जिसके आसपास स्वास्तिक बनाना चाहिए। ध्यान रखें, द्वार के बाहर अपने किसी गुरु या किसी अन्य देवी या देवता का चित्र कदापि न लगाएं।
किचन में पीतल, कांसा, तांबा और चांदी के बर्तनों का उपयोग करें। किचन आग्नेय कोण में होना चाहिए।
आपकी खिड़की को भी अच्छे से सजाकर और पर्दे से ढंकी हुई रखे। खिड़की के आसपास बेलबुटे वाले चित्र होना चाहिए या रांगोली या मंडने वाली चित्रकारी होना चाहिए।
घर में अतिथि कक्ष में हंस की बड़ी-सी तस्वीर लगाएं जिससे अपार धन समृद्धि की संभावनाएं बढ़ जाएगी। इसके अलावा कहीं किसी कोने में धन के ढेर का एक छोटा-सा चित्र भी लगा सकते हैं।
गृहकलह या वैचारिक मतभेद से बचने के लिए हंसते मुस्कुराते संयुक्त परिवार का चित्र लगाएं।
यदि आप दूसरों के चित्र न लगाना चाहते हैं तो खुद के ही परिवार के सदस्यों का प्रसन्नचित्त मुद्रा में दक्षिण-पश्चिम दिशा के कोने में एक तस्वीर लगाएं।
समुद्र किनारे दौड़ते हुए 7 घोड़ों की तस्वीर लगाने के लिए पूर्व दिशा को शुभ माना गया है। यह तस्वीर किसी वस्तुशास्त्री से पूछकर ही लगाएं।
घोड़ों की तस्वीर न लगाना चाहें तो आप तैरती हुए मछलियों के चित्र भी लगा सकते हैं।
अतिथि कक्ष में घर के मुखिया की सीट के पीछे पहाड़ या उड़ते हुए पक्षी का चित्र लगा हो। ऐसी तस्वीरों से अत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है।
घर में दक्षिण दीवार पर हनुमानजी का लाल रंग का चित्र लगाएं। इसके दो लाभ हैं। पहला यह कि आपका मंगल यदि अशुभ है तो शुभ होने लगेगा और दूसरा यह कि आपके मन में किसी भी प्रकार का भय नहीं रहेगा।
रसोईघर में किचन स्टैंड के ऊपर सुंदर फलों और सब्जियों के चित्र लगाएं। अन्नपूर्णा माता का चित्र भी लगाएंगे तो घर में बरकत बनी रहेगी।
जिस घर में रसोईघर दक्षिण-पूर्व यानी आग्नेय कोण में नहीं हो तब वास्तु दोष को दूर करने के लिए रसोई के उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सिंदूरी गणेशजी की तस्वीर लगानी चाहिए। यदि आपका रसोईघर अग्निकोण में न होते हुए किसी ओर दिशा में बना है तो वहां पर यज्ञ करते हुए ऋषियों की चित्राकृति लगाएं।
यदि बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता हो तो पढ़ने के कक्ष में मां सरस्वती, वेदव्यास, तोते, पक्षी या किसी पढ़ते हुए बच्चे का चित्र लगाएं।
इसके अलावा मोर, वीणा, कलम, पुस्तक, हंस या मछली के चित्र भी लगा सकते हैं। कुल वास्तुकार जंपिंग फिश, डॉल्फिन या मछलियों के जोड़े को लगाने की सलाह भी देते हैं। ध्यान रखें, उपरोक्त में से किसी एक का ही चित्र लगाएं।
यदि पति और पत्नी में तनाव है या किसी कारणवश प्यार का संबंध स्थापित नहीं हो पा रहा है तो आप अपने शयन कक्ष में राधा-कृष्ण या हंसों के जोड़े का सुंदर-सा मन को भाने वाला चित्र लगा सकते हैं। इसके अलावा हिमालय, शंख या बांसुरी के चित्र भी लगा सकते हैं। ध्यान रखें, उपरोक्त में से किसी भी एक का ही चित्र लगाएं।
यदि शयन कक्ष अग्निकोण में हो तो पूर्व-मध्य दीवार पर शांत समुद्र का चित्र लगाना चाहिए। शयन कक्ष के अंदर भूलकर भी पानी से संबंधित चित्र न लगाएं, क्योंकि पानी का चित्र पति-पत्नी और 'वो' की ओर इशारा करता है।