खुली सदी के गरिमामय पति

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शिल्पा शेट्टी बिग बॉस के बाद से एक ग्लोबल ब्रांड हो गई हैं और ब्रिटेन के अखबारों ने उनके व्यापारिक कौशल की तारीफों के पुल बाँधने शुरू कर दिए, तो वहीं पति राज कुंद्रा ने उन्हें बैंटले दिलवाकर उन्हें पंख दे दिए। ये नई उम्र के पति हैं, जो न सिर्फ अपनी पत्नियों की सफलता से गौरवान्वित होते हैं बल्कि अपनी सफलता में भी अपनी पत्नियों को हिस्सा देते हैं।

वे ये समझ गए हैं कि महिलाओं को घर की चहारदीवारी में बंद करके पिछली कई पीढ़ियों ने न सिर्फ सामाजिक तौर पर बल्कि व्यक्तिगत तौर पर भी कितना और क्या खोया है? समाजशास्त्रियों की मानें तो इन दिनों नजरिया थोड़ा मेट्रोसेक्सुअल हो गया है। परेशान करने वाला पति इन दिनों बुरा माना जाता है। यहाँ तक कि पुरुष भी उन पुरुषों की इज्जत करते हैं, जो अपनी पत्नियों की इज्जत करते हैं। इतना ही नहीं, वे अपनी पत्नियों के साथ अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन को भी संयोजित करते हैं।

समृद्ध जोड़े इन दिनों ज्यादातर चीजों में सामंजस्य की जरूरत महसूस करते हैं। आखिर जब मामला पैसे का हो तो फिर एक विश्वसनीय साथी की जरूरत होती है जो उन्हें मार्गदर्शन दे सके, संपत्ति की रक्षा कर सके और उसका प्रबंधन कर सके। ऐसे में पत्नी से बेहतर और विश्वसनीय साथी और कौन हो सकता है? शायद यही वजह हो कि पति अपनी पत्नियों को अपने काम का हिस्सेदार बनाते हैं। अपोलो टायर के राजा कँवर की पत्नी कामायनी कँवर इससे इत्तफाक रखती हैं। वे कहती हैं कि 'राजा को एक मददगार हाथ की जरूरत है जो घर भी संभाल सके औऱ बिजनेस में भी हाथ बँटा सके। आज के पुरुष की दुनिया में स्त्री से समानता कोई नई बात नहीं है।'

ये योग्यता पुरुष की छवि को और विस्तृत करती है और इससे उनके व्यक्तित्व की संवेदनशीलता और मुखर होती है। इसका ये कतई मतलब नहीं है कि ये उनके पौरुष पक्ष को कमजोर करता है। इसके उलट ये पुरुष की गरिमा को बढ़ाती ही है।

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हाल ही में जब आदि गोदरेज ने बिजनेस ऑफ द ईयर का जीक्यू अवॉर्ड जीता तो उस मौके पर उन्होंने कहा कि 'मैं इस अवॉर्ड के लिए अपनी खूबसूरत पत्नी परमेश्वर गोदरेज का आभारी हूँ।' उनका ये वक्तव्य बताता है कि परमेश्वर गोदरेज किस तरह से उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में मदद करती हैं। सुनीता मेनन कहती हैं कि 'पुरुष इस तरह के मैत्रीपूर्ण वातावरण में ज्यादा अच्छे तरीके से प्रगति कर पाता है।'

इन दिनों पुरुष दो विचारशील दिमागों का महत्व समझने लगे हैं। और ये भी समझने लगे हैं कि किसी भी हालत में वे अपनी पत्नी से बेहतर पार्टनर, दोस्त या फिर सहयोगी नहीं ढूँढ पाएँगे। अब नीता अंबानी को ही ले लीजिए, वे भी मुकेश अंबानी की सफलता की कहानी की हिस्सेदार हैं। मामला चाहे आईपीएल में मुंबई इंडियंस की दमदार टीम का हो या फिर देश के सबसे बेहतरीन स्कूल को चलाने का हो, नीता अंबानी, मुकेश के साथ हमकदम नजर आती हैं।

इन दिनों ज्यादा से ज्यादा पुरुष चाहते हैं कि उनकी पत्नियाँ उनके पुश्तैनी व्यापार में हाथ बँटाएँ क्योंकि अब वे जान चुके हैं कि महिलाएँ कितनी दक्ष होती हैं। शाहरुख खान को ही ले लें, वे हर मौका-बे-मौका अपनी पत्नी गौरी की तारीफ किया करते हैं, तो उनके फैन इससे भी तो प्रभावित होते हैं।

नुस्ली वाडिया इस बात को अच्छे से जानते हैं कि लाइमलाइट उनसे ज्यादा उनकी पत्नी मौरीन को हासिल है और वे इसके लिए किसी तरह की ईर्ष्या महसूस नहीं करते हैं। और वे ईर्ष्या महसूस करें भी क्यों? जबकि बॉम्बे डाईंग के एक के बाद एक एड-कैंपेन के पीछे मौरीन का दिमाग है और वे एक सफल पत्रिका को भी प्रकाशित कर रही हैं।

तो इस नई और खुली सदी का स्वागत करें, जहाँ पत्नियों की क्षमता और योग्यता का पति न सिर्फ सम्मान कर रहे हैं, बल्कि उसको पहचान दे और दिला रहे हैं। स्वागत करें उन साहसी पतियों का भी, जो अपने से ज्यादा योग्य पत्नियों को रिकग्नाइज़ करते हैं और उनकी सफलता में खुद को भी गौरवान्वित महसूस करते हैं।

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