फैसलों में जल्दबाजी अच्छी नहीं

NDND
हमारी जिंदगी में कई ऐसे मोड़ आते हैं, जब हमें कई प्रकार के जरूरी फैसले लेने होते हैं। ये ऐसे फैसले होते हैं जो या तो हमारी जिंदगी सँवार सकते हैं या हमेशा के लिए बिगाड़ सकते हैं इसलिए ऐसे वक्त हमें वर्तमान और भविष्य को ध्यान में रखकर सोच-समझकर ही कोई भी फैसला लेना चाहिए।

शादी, बच्चे, नौकरी, निवेश आदि कई फैसले ऐसे होते हैं, जो हमें अकेले ही लेना पड़ते हैं। इनमें किसी की सलाह तो हमारे काम आ सकती है पर किसी का निर्णय पर निर्भरता हमारे लिए नुकसानदेह हो सकती है।

जीवनसाथी चुनें सोच-समझकर :-
हमें कई फैसले अनिवार्यता पर लेने होते हैं, जिनमें शादी का फैसला व जीवनसाथी का चयन अति महत्वपूर्ण है। कई बार ऐसा होता है कि पारिवारिक दबाव के चलते हम उन्हीं की पसंद से बगैर कुछ सोचे-समझे सात फेरों के बंधन में तो बंध जाते हैं परंतु जब बीवी, बच्चे तथा दांपत्य संबंधों के उतार-चढ़ाव के रूप में हकीकत का सामना होता है तब कभी-कभी हमें जल्दबाजी व दबाव में लिए गए अपने इन निर्णयों का पछतावा होता है। उस वक्त बोझ समझकर इन बंधनों को ढोना हमारी एक मजबूरी बन जाती हैं। मजबूरी इसलिए क्योंकि आज हमें अपने गलत फैसले पर पछतावा होता है।

  अपनी जिम्मेदारियों से जी-चुराना तो बहुत बड़ी मूर्खता होती है। जिम्मेदारियाँ व फैसले जिंदगी में अपनी एक अहमियत रखते हैं तो क्यों न हम इनके लिए पहले से ही स्वयं को तैयार कर लें ताकि वक्त आने पर सही फैसला लिया जा सके।      
कुछ इसी तरह का पछतावा कई बार 'प्रेम विवाह' के मामलों में भी होता है। लड़कपन का प्रेम प्रेमियों से इकरार तो करा देता है परंतु उन्हें जीवनभर साथ चलने की हिम्मत नहीं देता। शारीरिक व वैचारिक आकर्षण तथा यौवन की मस्ती शादी के रूप में दो प्रेमियों को करीब तो ले आती है लेकिन जिंदगी की हकीकत उतनी ही जल्दी उन्हें जमीन पर भी ले आती है। ऐसे में ये रिश्ते निभाए जाते हैं तो केवल समाज के डर या अपने एक गलत फैसले के कारण।

करियर का चयन है जरूरी :-
आजकल के युवा अपने करियर को लेकर सबसे ज्यादा परेशान रहते हैं। कोई कहता है डॉक्टर बन जाओ तो कोई कहता है इंजीनियर बन जाओ। हर किसी की अलग राय, अलग राह। इनमें से आप किस राह को चुनना चाहते हैं, इसका फैसला करना बड़ा ही मुश्किल होता है। उस वक्त यदि आप अपनी रूचि देखते हैं तो आपका कोई अपना आपसे नाराज हो जाता है और उनको खुश करो तो आपका करियर दाँव पर लग जाता है। यह बहु‍त ही दुविधा की स्थिति होती है।

ऐसे में दूसरों के थोपे गए निर्णय का अनुकरण कर हम आगे तो बढ़ जाते हैं परंतु जब हम वो सब कुछ हासिल नहीं कर पाते हैं, जिनकी ख्वाहिशें हमने बचपन में की थीं। तब हमें अपने पर थोपे गए इन फैसलों का बड़ा दुख होता है। उस वक्त हममें से अक्सर लोग अपने माँ-बाप या उन रिश्तेदारों को कोसते हैं, जिनके द्वारा दी गई हिदायतों पर अमल करके उन्होंने वो फैसला लिया था।

NDND
निवेश करें सोच-समझकर :-
अपनी पूँजी के निवेश का फैसला करने में आपकी समझदारी बेहद जरूरी है क्योंकि लोगों की बातों में आकर या भेड़ चाल को देखते हुए आप भी यदि अपनी पूँजी ऐसी जगह निवेश कर देते हैं, जिसमें बाद में आपका नफा कम और नुकसान ज्यादा होता है।

तब अपने इस निर्णय पर आपको बहुत पछतावा होता है। हमेशा अपनी आय को ध्यान में रखकर ही निवेश करें। इस संबंध किसी बाजार विश्लेषक की राय जरूर ले सकते हैं परंतु फैसला वो ही ले, जो आपको ठीक लगता हो।

क्रोध में न लें निर्णय :-
क्रोध हमारा एक ऐसा शत्रु है, जो हमेशा हमारा काम बिगाड़ता है। कई बार दूसरों को नीचा दिखाने के लिए या लोगों की वाहवाही लूटने के लिए क्रोध में आकर हम कोई निर्णय तो ले लेते हैं परंतु ऐसे निर्णयों पर अक्सर हमें बाद में पछताना पड़ता है। ध्यान रखें कि जब तक हमारे व्यवहार में क्रोध का समावेश होगा, तब तक हम जीवन में कोई भी सही फैसला नहीं कर पाएँगे।

अपनी जिम्मेदारियों से जी-चुराना तो बहुत बड़ी मूर्खता होती है। जिम्मेदारियाँ व फैसले जिंदगी में अपनी एक अहमियत रखते हैं तो क्यों न हम इनके लिए पहले से ही स्वयं को तैयार कर लें ताकि वक्त आने पर सही फैसला लिया जा सके, जिससे जिंदगी बोझ न बनकर खुशियों का खजाना बन जाए।