क्या हम छोड़ सकते हैं दशहरे पर अपनी कोई एक बुराई

हम अपनी ऐसी कुछ आदतों से परेशान रहते हैं जिन्हें हम जानते हुए भी कि ये गलत हैं, उन्हें छोड़ नहीं पाते। फिर उन्हें छोड़ने के लिए हम अकसर बहानों की तलाश में रहते हैं। तो इस विजयादशमी/दशहरे पर अपनी ऐसी ही कुछ बुराइयों को छोड़ दीजिए। 
 
हर इंसान में कोई न कोई गलत आदत जरूर होती है। उन्हीं में से कुछ ऐसी लत भी होती हैं जिन्हें हम अकसर छोड़ना तो चाहते हैं लेकिन लाख कोशिश करने के बावजूद उन्हें हम छोड़ नहीं पाते। ऐसी ही गलत आदतों को छोड़ने के लिए अकसर हम बहाने या कोई खास दिन तलाशने की टोह में रहते हैं। कोई ऐसा बहाना या दिन जब हम कह सकें कि चलो, आज से इस बुराई को छोड़ ही देते हैं।
 
फिर क्यों न रावण के पुतले को जलाने के साथ ही आप भी अपने में से कोई ऐसी बुराई को निकाल बाहर करें जिसे आप छोड़ना तो चाहते हैं, पर छोड़ नहीं पा रहे। कुछ युवाओं से चर्चा की गई कि अगर इस पर्व पर उन्हें कोई बुराई छोड़नी हो तो कौन-सी बुरी लत छोड़ना चाहेंगे? 
 
शिवानी को अपनी तारीफ करना बहुत भाता है। बात-बात में वह अपनी प्रशंसा करने लगती है, बात चाहे कहीं की भी चल रही हो वह उसमें अपनी बात  करने लग जाती है। उसकी इस आदत से उसके सभी दोस्त परेशान हैं। दशहरे पर शिवानी का कहना है कि ठीक है अब वह अपनी प्रशंसा कम करेगी। 
 
मनन का कहना है कि वह आज के दिन अपनी नाखून कुतरने की आदत को छोड़ देगा। बच्चों वाली उसकी इस आदत से उसके घर से लेकर सभी दोस्त बहुत परेशान हैं लेकिन वह न चाहकर भी इसे छोड़ नहीं पाता। किसी पार्टी में भी जाना हो तो वह नाखुन कुतरने लगता है। वह प्रण लेना चाहता है कि  कि यह बुरी आदत छोड़ दे। 
 
लविश का कहना है कि कॉलेज के बाद से उसे दोस्तों के साथ उसे सिगरेट पीने की लत पड़ गई थी लेकिन उसके घर में अब तक यह बात किसी को नहीं पता है जिससे उसे कई बार झूठ बोलना पड़ता है। वह कहता है कि वह जानता है कि यह आदत अच्छी नहीं है लेकिन यह छुटाए नहीं छूटती। लेकिन इस बार दशहरे पर उसने यह ठान लिया है कि वह इस गलत आदत को हर हाल में छोड़ देगा।
 
 
पूर्वी कहती है कि उसमें चुगली करने की बहुत गलत आदत है, जो उसे उसकी सहेलियों से लग गई है। अब वह अपनी इस आदत से इतनी परेशान है कि अपने घर में भी चुगली करने से बाज नहीं आती। छोटी से छोटी बात पर वह चुगली करना शुरू कर देती है। तो इस दशहरे पर वह अपनी यह आदत छोड़ देना चाहती है। 
 
हम सबके लिए दशहरे से अच्छा मौका भला और कौन-सा होगा, जब अपनी ऐसी ही किसी लत या आदत को, जिससे बहुत परेशान हैं, रावण के पुतले के साथ स्वाहा कर दें। तो फिर देर किस बात की? खुद में से ऐसी ही किसी बुराई को आज ही रावण के पुतले के साथ दहन कर हमेशा के लिए खत्म कर दें। इस शुभ काम के लिए दशहरे के त्योहार से अच्छा तो कोई दिन हो ही नहीं सकता। 

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