रोचक क्विज : इमोशनली कितनी स्ट्रॉंग हैं आप, परखें अपना इमोशनल कोशंट
भावनात्मक संतुलन देता है स्थिरता
- प्रीति अनिल नीमा
आमतौर पर जीवन में सफल होने के लिए बौद्धिक क्षमता या इंटेलिजेंस को सबसे बड़ा गुण माना जाता है और भावनात्मक पहलू को अनदेखा किया जाता है, पर आज के जटिल सामाजिक जीवन में मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि हमारी सफलता में बौद्धिक क्षमता या इंटेलिजेंस कोशंट (आईक्यू) से अधिक अहम भूमिका निभाता है हमारा भावनात्मक संतुलन या ईक्यू अर्थात इमोशनल कोशंट।
सिर्फ तथ्य और आंकड़े जानने से काम नहीं चल सकता। जीवन में कामयाबी हासिल करने के लिए लोगों की भावनाओं को समझना और उसके अनुसार व्यवहार करना बहुत आवश्यक है। हालांकि आपका आईक्यू ही कोई जॉब पाने में आपकी मदद करता है किंतु सफलता की सीढ़ियां आप ईक्यू की बदौलत ही चढ़ सकती हैं।
अपने ईक्यू की जांच के लिए यहां दिए प्रश्नों के उत्तर हां या ना में दीजिए और जानिए कि भावनात्मक तौर पर आप कितनी संतुलित हैं?
* जब अपने जीवनसाथी की वजह से आपको कोई चोट पहुंचती है, तो बहुत अपसेट होने पर भी आप यह बात अन्य लोगों से छुपा लेती हैं।
* इससे पहले कि आपकी सबसे अच्छी दोस्त अपने मुंह से कुछ कहे, आप समझ जाती हैं कि उसका मूड कैसा है।
* आप अपनी सबसे अच्छी दोस्त को अपनी कोई भी बात, चाहे वह कितनी ही व्यक्तिगत क्यों न हो, बता सकती हैं।
क्विज का परिणाम जानने के लिए देखिए कि आपके उत्तरों में 'हां' की संख्या कितनी है :
16 या अधिक :
आपको अपनी योग्यता पर भरोसा और खुद पर पूरा विश्वास है। इसी कारण भावनाओं के तीव्र आवेगों से भी आप घबराती नहीं और उन पर काबू पा लेती हैं। इसी कारण परिचितों से भी आपके संबंध मधुर हैं, लेकिन इस बात का भी खयाल रखें कि सामाजिक संबंधों को निभाने की व्यस्तता में कहीं आप कामयाबी के लिए आवश्यक, कठोर परिश्रम और दूरदर्शिता जैसी विशेषताओं की उपेक्षा न कर जाएं।
7 से 15 तक :
सामान्यतः आप अपनी और दूसरों की भावनाओं का भी खयाल रखती हैं, लेकिन कभी-कभी टीवी खरीदने या अगले प्रमोशन लेने जैसी भौतिक वस्तुओं या सफलताओं की प्राप्ति के लिए आप भावनाओं की उपेक्षा भी कर जाती हैं और ये सब भौतिक वस्तुएं पाने के बाद भी आप एक खालीपन, एक असंतुष्टि-सी महसूस करती हैं। इसीलिए अपना विश्लेषण करें, अपनी वास्तविक भावनाओं को समझें और उसके अनुसार व्यवहार करें।
6 या कम :
आपको स्वयं में दूसरों के प्रति संवेदनशीलता पैदा करने और सिर्फ अपनी चिंता न करने की सख्त आवश्यकता है। आप सामाजिक संबंधों व कर्तव्यों की अवहेलना करती हैं और लक्ष्य पाने के लिए लोगों को छल-बल या किसी भी तरह से दरकिनार कर देती हैं। ऐसे में आप कम समय में सफलता तो पा लेती हैं, पर उसे बरकरार नहीं रख पातीं और पुनः पहले की स्थिति में आ जाती हैं। अपने आवेगों पर नियंत्रण रखें और दूसरों की भावनाओं का भी सम्मान करें।