हाथों पर रची खूबसूरत मेहंदी नारी के व्यक्तित्व में अलग ही निखार लाती है। नितांत घरेलू तरह का यह शौक अब तक सिर्फ घरों तक ही
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सीमित था। क्या कोई सोच सकता था कि परंपरा और रिवाज के लिए लगाई जाने वाली मेहंदी से कोई दौलत और शोहरत दोनों कमा सकता है।
इस काम को अंजाम देने वाली हैं- सुमिता बत्रा। मेहंदी लगाने की इस कला को व्यावसायिक जामा पहनाना और इसे विदेशों में, उसमें भी हॉलीवुड जैसी जगह पर इसकी पहचान बनाना आसान काम नहीं था। मगर सुमिता बत्रा ने यह करिश्मा कर दिखाया।
सुमिता बत्रा अपने आप को इन शब्दों में बयान करती हैं- 'एक आक्रमक, बुद्धिमान, भावप्रवण भारतीय महिला।' लेकिन यह तो सभी जानते हैं कि वे इन सब से बढ़कर हैं। सौंदर्य के क्षेत्र में चौदह सालों का अनुभव रखने वाली सुमिता एक 'क्रिएटिव स्टाइलिस्ट', लेखक, उद्यमी और इंटरनेट की दीवानी हैं। जिनका सपना खुद का वेब बेस्ड 'बी2बी' वेंचर शुरू करना है। जिसके जरिए वे सौंदर्य क्षेत्र की नई जानकारियां और शिक्षा देना चाहती हैं।
बत्रा कहती हैं 'मेरे लिए अपने आप को एक या दो शब्दों में समझाना कठिन है। मेरी माँ ने मुझे बताया था कि मैं वो कर सकती हूँ जो मैं चाहती हूँ। और उस शिक्षा का नतीजा सामने है।' इंग्लैंड में जन्मी, इरान, भारत, और अमेरिका में पली और अब लॉस एंजिल्स में रह रही सुमिता का जीवन अपनी माँ की शिक्षा के आस पास ही घूमता रहता है। बचपन से ही सुंदर चीजों से प्रभावित और ब्यूटिशियन माँ की बेटी होने के नाते उनमें रचनात्मकता प्राकृतिक रूप से समाई हुई है। यही वजह है कि वे सोचती हैं इसके अलावा उनकी पसंद का कोई दूसरा कॅरियर हो ही नहीं सकता था।
जब उनकी माँ, कुंदन सबरवाल ने 1987 में लॉस एंजिल्स में अपना 'ज़ेबा' ब्यूटी सेंटर खोला तो सुमिता ने इसमें पार्टनर और मार्केटिंग
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मैनेजर की हैसियत से काम करना शुरू किया। इस सलून का मुख्य उद्देश्य ठेठ भारतीय सौंदर्य प्रसाधनों को अमेरिकीयों के बीच लोकप्रिय बनाना था। यहीं बत्रा को अपनी छुपी हुई प्रतिभा को बाहर लाने का अवसर प्रदान मिला। उन्होंने पारंपरिक भारतीय दुल्हन मेकअप और सजीली बिंदियों में महारत हासिल की। उन्होंने सलून के लिए विशेष कार्यक्रम और उसके प्रचार की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली।
कुछ सालों बाद जब उनका दिल सलून के काम से उबने लगा तब उन्होंने मेंहदी और डिजाइनर बिंदी के खुद के सौंदर्य उत्पाद की श्रृंखला शुरू करने का विचार किया। बिंदी के अपने उत्पाद को उन्होंने नाम दिया 'सेल्फ स्टिकिंग बॉडी ज्वैलरी' और मेंहदी को नाम दिया 'टैम्प्रेरी टैटू'। सुमिता बताती हैं कि इस प्रचार की वजह से मेंहदी ने मोरक्को से भारत तक की तमाम सांस्कृतिक बाधाएं पार कर लीं।
मैं चाहती थी इस खूबसूरत कला को अमेरिका की मुख्य धारा में एक अलग पहचान दिलाऊँ और मैंने वह कर दिखाया। आज की तारीख में सुमिता हॉलीवुड की जानी-मानी हिना आर्टिस्ट हैं। वे अब तक मेडोना, नोआमी कैंपबेल, ग्वेन स्टीफनी, जेनिफर एनिस्टोन और सलमा हेएक जैसी हॉलिवुड कलाकारों की हथेलियों को मेहंदी के रंग से सुनहरा कर चुकी हैं।
उन्होंने 'द आर्ट ऑफ मेंहदी' किताब भी लिखी है जो पैंग्विन प्रकाशन ने प्रकाशित की है। इस किताब को अमेरिका में इतना प्रतिसाद मिला है कि बत्रा खुद इससे आश्चर्यचकित हैं। वे अब अमेरिका की जानी-मानी हस्ती बन गईं हैं। अपनी सफलता का राज पूछने पर वे उत्साह से कहती हैं 'यदि आप कुछ करना चाहते हैं तो जाइए और वह काम शुरू कर दीजिए। दुनिया में हर चीज संभव है यदि आप दिल से उसे करना चाहें। फिर कोशिश करने में हर्ज ही क्या है? क्योंकि आप चीजों को तब तक नहीं जान सकते जब तक आप कोशिश नहीं करते।'
नाम और दाम कमाने के बाद उनकी इच्छा भारत में महिलाओं के लिए एक व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र खोलने की है। उनका मानना है कि एक दक्षिण एशियाई महिला होने के नाते अमेरिका में सौंदर्य व्यवसाय शुरू करना कठिन जरूर था पर मुश्किल नहीं। यहाँ आज भी यह क्षेत्र पुरुषों के आधिपत्य में है, लेकिन महिलाएँ धीरे-धीरे इसमें जगह बना रही हैं।
वैसे एक एशियाई होने के नाते हमारे पास ज्यादा अच्छे अवसर होते हैं क्योंकि हमारे पास उन्हें देने के लिए कम से कम कुछ नया तो होता ही है। सुमिता बत्रा पूरे जोश और उत्साह से अपने काम में लगी हुई हैं। आने वाले वक्त में उनके प्रशिक्षण केंद्र से भारत की कोई और लड़की इस क्षेत्र में नाम कमा ले तो यह उनके लिए सच ही गौरव की बात होगी।