सभी जानते हैं कि महिलाओं से उनकी उम्र नहीं पूछनी चाहिए और ये बात तो अब मैनर्स में शामिल हो चुकी है। कहा जाता है कि बेमतलब लड़कों से उनकी सैलेरी व कमाई और महिलाओं से उनकी उम्र नहीं पूछनी चाहिए। लड़कों की तनख्वाह नहीं पूछने की बात तो फिर भी समझी जा सकती है कि ये बात उनके अहं से जुड़ी हो सकती है, लेकिन उम्र का बढ़ना तो एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। जिसने भी जन्म लिया है उसकी उम्र तो बढ़ेगी ही, फिर चाहे वह इंसान हो या जानवर।
ये बात शायद इसलिए क्योंकि ऐसे कई करियर व क्षेत्र हैं, जहां कम उम्र की महिलाओं को ही तवज्जो दी जाती है। जब तक वे जवान और खूबसूरत दिखें, तब तक ही उनकी पूछ-परख रहती है। अब आप बॉलीवुड इंडस्ट्रीज की हीरोइनों को ही ले लीजिए, जहां सोनम कपूर व अनुष्का शर्मा जैसी कम उम्र की महिलाएं भी आपको सलमान व शाहरुख खान जैसे उम्र में कई साल बड़े एक्टर्स के साथ रोमांस करते हुए दिख जाएंगी, क्योंकि पुरुषों की उम्र का बढ़ना यहां ज्यादा मायने नहीं रखता और उन्हें अधेड़ उम्र में भी कम उम्र का हीरो स्क्रीन पर दिखाया जा सकता है, फिर चाहे इसके लिए छोटी उम्र की लड़कियों को स्क्रीन पर थोड़ी उम्र बढ़ाकर ही क्यों न दिखाना पड़े।
कम उम्र की लड़कियों को बड़ी उम्र के रोल में दिखाने का सिलसिला टेलीविजन इंडस्ट्रीज में भी सालों पुराना है। हाल ही की हम बात करें तो घरेलू महिलाओं का पसंदीदा धारावाहिक 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' में 'नायरा' का लीड रोल निभा रही शिवांगी जोशी महज 20 साल की हैं, लेकिन इस उम्र में भी उनकी शादी हो चुकी है और वे मां भी बन चुकी हैं। हालांकि जन्म के कुछ समय बाद ही बच्चे को मृत दिखा दिया गया। 'नायरा' नाम का कैरेक्टर उन सभी दौर से गुजर रहा है जिनसे असल जिंदगी में महिला 30 की उम्र के आस-पास या कई बार उससे भी बड़ी उम्र में गुजरती है। लेकिन क्योंकि उनकी असल उम्र महज 20 साल ही है, तो वे सभी दौर में हसीं और जवां ही दिखती हैं।
लेकिन क्या ऐसा महिलाओं के साथ असल जिंदगी में संभव है? फिर भी फिल्में और टेलीविजन पर प्रसारित सीरियल्स आम लोगों (यानी कि स्त्री और पुरुष दोनों) के दिल और दिमाग में महिलाओं की छवि को लेकर असर तो डालते ही हैं और महिलाओं को हमेशा इस बात का तनाव रहता है कि वे भी उम्र के हर दौर में जवान और खूबसूरत दिखें तथा पुरुष भी उनसे यही अपेक्षा रखते हैं। ऐसे में बढ़ती उम्र के असर पर अपनी खूबसूरती कम होने से महिलाओं का घबराना और उस उम्र को छिपाना स्वाभाविक है।
जब तक समाज में, खासतौर से पुरुष वर्ग महिलाओं की उम्र के बढ़ने को उतना ही सामान्य नजर नहीं देखेंगे जितना कि उनकी उम्र का बढ़ना है, तो बढ़ती उम्र की महिलाओं को तब तक वे स्वीकारने से कतराएंगे। महिलाओं पर उम्र पूछे जाने के सवाल पर उसे छिपाने का दबाव बना ही रहेगा। तो क्यों न महिलाओं की उम्र के बढ़ने को सकारात्मक लें? भले ही चाहे उम्र के असर से खूबसूरती जरा कम हुई हो लेकिन अनुभव और समझदारी तो बढ़ी ही है और पहले से एक बेहतर महिला आपके सामने है।