नागपुर देगा नसीहत

PTI
'बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले'... नागपुर के वनडे मैच को देखकर निकलने वाले हर शख्स की जुबाँ पर यही लब्ज थे। यहाँ पर विश्वकप के लीग मैच में भारत 3 विकेट से हारा नहीं, बल्कि उसने दक्षिण अफ्रीका की तश्तरी में जीत परोसते हुए कहा, आइए और इस मैच को हमसे छीन ले जाइए। अंतिम 6 गेंदों में रोमांच अपनी पराकाष्ठा पर था और अनफिट आशीष नेहरा से यह चमत्कार की उम्मीद की जा रही थी कि वे अफ्रीका को 13 रन बनाने से रोक देंगे।

नेहरा ने पहली गेंद पर चौका, दूसरी गेंद पर छक्का, तीसरी गेंद पर दो और चौथी गेंद पर चौका लगवाकर (कुल 16 रन) दक्षिण अफ्रीका की टीम को नागपुर में जीत का नगाड़ा बजवाने का पूरा बंदोबस्त कर दिया। एक वक्त ऐसा भी आया जब मेहमान टीम को 18 गेंदों में 31 रन चाहिए थे, लेकिन मुनाफ पटेल ने 47वें ओवर में 14 रन देकर अफ्रीका को जीत की दहलीज पर पहुँचा दिया। जब 12 गेंदों में 17 रन की दरकार थी, तब जहीर खान ने अपनी ख्याति के अनुरूप ओवर डालकर केवल 4 रन दिए।

आसानी से समझा जा सकता है कि जहीर की हैसियत क्या है और मुनाफ के साथ-साथ नेहरा किस कदर कमजोर हैं। स्लॉग ओवरों में जहीर के अलावा टीम इंडिया के पास अन्य कोई गेंदबाज नहीं है, जो रनों की रफ्तार पर अंकुश लगा सके। धोनी क्या इतने नासमझ हो गए थे कि उन्होंने मैच का अंतिम ओवर के लिए हरभजन को लाना उचित नहीं समझा जो इस मैच में अफ्रीका के तीन विकेट ले चुके थे?

इस तरह भारत जीत के मुहाने पर पहुँचने के बाद भी अफ्रीका को हराने में नाकाम रहा और हार के कारणों का टीम इंडिया जरूर पोस्टमार्टम करेगी। नागपुर की हार भारतीय टीम को आने वाले अभियान के लिए जरूर नसीहत देगी। इस मैच में सभी कुछ बुरा ही नहीं हुआ, अलबत्ता जो अच्छा हुआ वह हार की छाया में नजर नहीं आएगा। सचिन तेंडुलकर और सहवाग का बल्ला जिस तरह की आग अफ्रीकी गेंदबाजों के खिलाफ उगली उसने कईयों की रातों की नींद उड़ा दी होगी और दिन का चैन छीन लिया होगा।

सचिन के 111 (करियर के 48वें वनडे शतक और विश्वकप के छठे सैकड़े) लाजवाब थे और इसी शतक से उन्होंने क्रिकेट बिरादरी को अपनी हैसियत का अहसास करवाया। सहवाग ने भी अपनी विस्फोटक पारी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। इन दोनों ने पहले विकेट की भागीदारी में 142 रन जोड़े और फिर दूसरे विकेट के लिए सचिन ने गंभीर को साथ लेकर 125 रनों की भागीदारी निभाई।

भारत 39.4 ओवरों में 2 विकेट खोकर 267 रन बना चुका था और लग रहा था कि स्कोर 350 को स्पर्श करेगा, लेकिन 40 से 49 ओवरों के बीच भारत ने केवल 29 रन जुटाए और आठ विकेट खोए। सचिन 111, सहवाग 73, गंभीर 69 के आउट होने के बाद युवराजसिंह और धोनी 12-12 रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे। मध्यक्रम और निचले क्रम ने गैर जिम्मेदार प्रदर्शन किया।

इस मैच में भी धोनी की जिद सामने आई और उन्होंने मुनाफ पटेल को पीयूष चावला के बदले अंतिम 11 में जगह दी। आर. अश्विन नागपुर में खेलते तो संभव था कि विश्वकप में भारत पहली हार का घूँट नहीं पीता। भारत विश्वकप के पाँच मैच खेल चुका है और अश्विन एक भी मैच नहीं खेले हैं। क्या उन्हें क्वार्टर फाइनल के लिए सुरक्षित रखा है?

बहरहाल, दक्षिण अफ्रीका ने हाशिम अमला (61), जैक्स कैलिस (69) और एबी डी'विलियर्स (52) की शानदार पारियों के बाद प्लेसिस के नाबाद 25 और रॉबिन पीटरसन के नाबाद 18 रनों के बूते पर दिलों की धड़कनों को कई गुना बढ़ा देने वाले इस मैच का नाटकीय पटाक्षेप किया। अफ्रीका ने 49.4 ओवर में 300 रन बना डाले।

जहीर खान ने 43 रन देकर 1 विकेट लिया जबकि इस मैच के पूर्व 4 मैचों में केवल 2 विकेट लेकर आलोचना झेल रहे हरभजन ने 53 रन पर तीन विकेट लिए। मुनाफ पटेल ने 65 रन लुटाकर दो विकेट लिए। मैच के खलनायक नेहरा ने 8.4 ओवर में 65 रन दिए। अफ्रीका की जीत में दुनिया के सबसे कामयाब गेंदबाज स्टेन के 50 रन देकर 5 विकेट लेने को भूलना भी बेमानी होगी।

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