भारत बना क्रिकेट का शहंशाह

शनिवार, 2 अप्रैल 2011 (23:48 IST)
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गौतम गंभीर और महेंद्रसिंह धोनी की उत्कृष्ट पारियाँ तथा 121 करोड़ लोगों की दुआ शनिवार को वानखेड़े स्टेडियम में भारत को 28 साल बाद क्रिकेट का विश्व चैंपियन बना गई। भारतीय टीम ने श्रीलंका को छह विकेट से हराकर 1983 के बाद दूसरी बार विश्व कप जीता।

उस दिन भी शनिवार था जब 25 जून 1983 को कपिल देव के धुरंधरों ने लार्ड्‍स में इतिहास रचा था। धोनी के रणबाँकुरों ने फिर से शनिवार भारतीयों के लिए यादगार बना दिया। भारत ने नया रिकॉर्ड भी बनाया। वह अपनी सरजमीं पर फाइनल जीतने वाला पहला देश बन गया है। यही नहीं ऑस्ट्रेलिया (4 बार) और वेस्टइंडीज (2) के बाद भारत तीसरा देश है, जिसने कम से कम दो बार विश्व कप जीता।

पिछले तीन टूर्नामेंट की तरह इस बार फाइनल हालाँकि एकतरफा नहीं रहा और इसमें उतार-चढ़ाव भी देखने को मिले। गंभीर भले ही शतक से चूक गए, लेकिन उनकी 97 रन की पारी और धोनी के नाबाद 91 रन महेला जयवर्धने के सैकड़े पर भारी पड़ गए।

जयवर्धने ने 88 गेंद पर नाबाद 103 रन की पारी खेली। उनके अलावा कुमार संगकारा (48), तिलकरत्ने दिलशान (33) और नुवान कुलशेखरा (32) ने भी अच्छा योगदान दिया। भारतीय गेंदबाजों ने शुरू में कसी हुई गेंदबाजी की, लेकिन आखिर में जमकर रन लुटाए। श्रीलंका ने आखिरी पाँच ओवर में 63 रन बटोरकर छह विकेट पर 274 रन का अच्छा स्कोर खड़ा किया।

वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंडुलकर के 31 रन के अंदर पैवेलियन लौटने के बाद गंभीर ने एंकर की भूमिका बखूबी निभाई। उन्हें विराट कोहली (35) और कप्तान धोनी के रूप में कुशल सहयोगी मिले। धोनी ने विजयी छक्का जड़ा और भारत ने चार विकेट पर 277 रन बनाकर देश में चार दिन के अंदर दूसरी बार दीवाली का माहौल बना दिया।

युवराजसिंह टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी बने। भारतीय टीम ने कोच गैरी कर्स्टन को भी स्वर्णिम विदाई दी। भारत को इस जीत से 30 लाख डालर (लगभग 14 करोड़ रुपए) मिले, जबकि 1996 के चैंपियन श्रीलंका को लगातार दूसरी बार उपविजेता से संतोष करना पड़ा और उसे 15 लाख डॉलर मिले। इसके साथ ही धोनी दुनिया के पहले कप्तान बन गए, जिनके नाम पर ट्वेंटी-20 और वनडे दोनों का विश्व खिताब है।

भारतीय पारी के शुरू में हालात हालाँकि काफी खराब थे। लसिथ मलिंगा ने दूसरी गेंद पर ही सहवाग को पगबाधा आउट कर दिया, जिसमें रेफरल भी खराब गया। तेंडुलकर ने अपने घरेलू मैदान पर एक दो शॉट जमाकर दर्शकों में जोश भरने की कोशिश की, लेकिन मलिंगा के तीसरे ओवर में संगकारा ने जब विकेट के पीछे उनका नीचा कैच लिया तो सभी के मुँह खुले के खुले रह गए। इसके साथ ही तेंडुलकर का 100वें अंतरराष्ट्रीय शतक का इंतजार भी बढ़ गया।

गंभीर इसके बाद न सिर्फ विकेट पर टिके रहे बल्कि उन्होंने करारे शॉट जमाकर रन गति भी नहीं गिरने दी। इस बीच जब वे 16 रन पर थे तब सूरज रणदीव की गेंद पर कुलशेखरा ने उनका कैच छोड़ा। श्रीलंका को यह चूक महँगी पड़ी और गंभीर ने कोहली के साथ लगभग 15 ओवर में 83 रन और धोनी के साथ लगभग 20 ओवर में 109 रन की साझेदारी करके दबाव मिटा दिया।

गंभीर की अगुवाई में भारतीय बल्लेबाजों ने स्पिनरों का अच्छी तरह से सामना किया। मुथैया मुरलीधरन का जादू उन पर नहीं चला जबकि नुवान कुलशेखरा और तिसारा परेरा जैसे मध्यम गति के गेंदबाजों को पिच से किसी तरह की मदद नहीं मिल रही थी। श्रीलंका को लचर क्षेत्ररक्षण की भी कीमत चुकानी पड़ी।

संगकारा ने गेंदबाजी में लगातार बदलाव किए। वह बीच में मलिंगा को भी एक ओवर के लिए आक्रमण पर लाए, लेकिन गंभीर या धोनी पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। भारतीय कप्तान पीठ दर्द से भी परेशान दिखे लेकिन उन्होंने मोर्चा नहीं छोड़ा और मुरलीधरन पर चौका जड़कर अपना अर्धशतक पूरा किया।

गंभीर जब शतक से केवल तीन रन दूर थे तब बाएँ हाथ के इस बल्लेबाज ने दर्शकों के अति उत्साह में खुद को शामिल करके आगे बढ़कर स्लॉग शॉट खेलना चाहा, लेकिन वे चूककर बोल्ड हो गए। उन्होंने 122 गेंद खेली और नौ चौके लगाए। इस तरह से फाइनल में पहली बार दो शतक बनने का रिकॉर्ड नहीं बना।

धोनी के साथ अब प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट युवराजसिंह (नाबाद 21) थे और उनके सामने स्लॉग ओवरों के कातिल मलिंगा की भी नहीं चली। भारत को जब 18 गेंद पर 16 रन चाहिए थे तब धोनी ने मलिंगा पर दो चौके जड़ने के बाद कुलशेखरा पर लांग ऑन पर छक्का जमाकर वानखेड़े को शोर के आगोश में डुबो दिया। धोनी ने 79 गेंद खेली तथा आठ चौके और दो छक्के लगाए।

जहीर के पहले तीन ओवर मैडन थे। उन्होंने 19वीं गेंद पर फार्म में चल रहे उपुल थरंगा को सहवाग के हाथों कैच कराकर पैवेलियन भेजा। इसके बाद हरभजन की लूप लेती गेंद पर दिलशान ने स्वीप करने के प्रयास में चूककर बोल्ड हो गए।

संगकारा और जयवर्धने के बीच जब 11 ओवर में 62 रन की साझेदारी हो गई थी, तब इस टूर्नामेंट में भारत के ‘ट्रंप कार्ड’ युवराज ने वानखेड़े स्टेडियम में जोश भरा। संगकारा ने उन पर दो रन लिए चौका जड़ा लेकिन आखिर में कट करने के प्रयास में विकेट के पीछे धोनी को कैच थमा गए।

जयवर्धने ने बाद में तिलन समरवीरा के साथ 57 रन जोड़े। युवराज ने समरवीरा को पगबाधा आउट करके यह साझेदारी तोड़ी। साइमन टफेल ने उनकी अपील हालाँकि ठुकरा दी थी, लेकिन रेफरल भारत के पक्ष में रहा था। युवराज ने 49 रन देकर दो विकेट लिए। वे टूर्नामेंट में कुल 15 विकेट लेने में सफल रहे।

जहीर ने चमारा कपूगेदारा आउट करके टूर्नामेंट में सर्वाधिक विकेट (21) लेने में शाहिद अफरीदी की बराबरी की। जयवर्धने और कुलशेखरा लगभग आठ ओवर में 66 रन जोड़ दिए। जहीर ने अंतिम दो ओवर में 35 रन दिए। कुलशेखरा ने 48वें ओवर में उन पर पारी का पहला छक्का जड़ा जबकि जयवर्धने ने लगातार दो चौके जड़कर विश्वकप में तीसरा और वन डे में 14वाँ शतक पूरा किया। तिसारा परेरा ने आखिर में नौ गेंद पर नाबाद 22 रन ठोंके।

जहीर के पहले तीन ओवर मैडन थे। उन्होंने 19वीं गेंद पर फार्म में चल रहे उपुल थरंगा को सहवाग के हाथों कैच कराकर पैवेलियन भेजा। इसके बाद हरभजन की लूप लेती गेंद पर दिलशान ने स्वीप करने के प्रयास में चूककर बोल्ड हो गए।

संगकारा और जयवर्धने के बीच जब 11 ओवर में 62 रन की साझेदारी हो गई थी तब इस टूर्नामेंट में भारत के ‘ट्रंप कार्ड’ युवराज ने वानखेड़े स्टेडियम में जोश भरा। संगकारा ने उन पर दो रन लिए, चौका जड़ा, लेकिन आखिर में कट करने के प्रयास में विकेट के पीछे धोनी को कैच थमा गए।

जयवर्धने ने बाद में तिलन समरवीरा के साथ 57 रन जोड़े। युवराज ने समरवीरा को पगबाधा आउट करके यह साझेदारी तोड़ी। साइमन टफेल ने उनकी अपील हालाँकि ठुकरा दी थी, लेकिन रेफरल भारत के पक्ष में रहा था। युवराज ने 49 रन देकर दो विकेट लिए। वे टूर्नामेंट में कुल 15 विकेट लेने में सफल रहे।

जहीर ने चमारा कपूगेदरा को आउट करके टूर्नामेंट में सर्वाधिक विकेट (21) लेने में शाहिद अफरीदी की बराबरी की। जयवर्धने और कुलशेखरा लगभग आठ ओवर में 66 रन जोड़ दिए। जहीर ने अंतिम दो ओवर में 35 रन दिए। कुलशेखरा ने 48वें ओवर में उन पर पारी का पहला छक्का जड़ा, जबकि जयवर्धने ने लगातार दो चौके जड़कर विश्व कप में तीसरा और वन डे में 14वाँ शतक पूरा किया। तिसारा परेरा ने आखिर में नौ गेंद पर नाबाद 22 रन ठोके। (भाषा)

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