ली-टैट का सामना सचिन-सहवाग से

बुधवार, 23 मार्च 2011 (13:22 IST)
विश्वकप के सबसे बड़े मुकाबले की पृष्ठभूमि तैयार हो चुकी है और दुनिया की चोटी की दो टीमें ऑस्ट्रेलिया और भारत गुरुवार को यहाँ टूर्नामेंट का मिनी फाइनल कहे जा रहे क्वार्टर फाइनल के लिए अपने सभी हथियारों की धार तेज कर चुके हैं।

ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच मुकाबला विश्व चैंपियन के तेज गेंदबाजों और भारत के चोटी के दो विस्फोटक बल्लेबाजों के बीच होगा। ऑस्ट्रेलिया के पास जहाँ ब्रेट ली और शॉन टैट के रूप में दो तूफानी गेंदबाज हैं वहीं भारत के पास सचिन तेंडुलकर और वीरेन्द्र सहवाग के रूप में दो बेहद खतरनाक बल्लेबाज हैं।

यह मुकाबला ली-टेट बनाम सचिन-सहवाग के रूप में देखा जा रहा है। हालाँकि शॉर्ट गेंदें भारतीय बल्लेबाजों की कमजोरी मानी जाती हैं और ली-टैट इस कमजोरी का फायदा उठाने की पूरी कोशिश करेंगे। लेकिन दुनिया की सबसे बेहतरीन ओपनिंग जोड़ी कहे जाने वाले सचिन और सहवाग ने इसका तोड़ ढूँढ निकाला होगा।

सहवाग वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत के आखिरी लीग मैच में नहीं खेले थे लेकिन जब वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में उतरेंगे तो उनके निशाने पर यह तेज गेंदबाज जोड़ी रहेगी। सहवाग ने बांग्लादेश के खिलाफ टूर्नामेंट के उद्घाटन मैच में विस्फोटक 175 रन ठोके थे। लेकिन सहवाग और सचिन ने जो बल्लेबाजी दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाजों डेल स्टेन और मोर्न मोर्कल के खिलाफ की थी उसे यदि वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दोहरा देते हैं तो विश्व चैंपियन टीम बैकफुट पर चली जाएगी।

सचिन-सहवाग ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मात्र 17.4 ओवर में 142 रन की साझेदारी की थी। इस मैच में सहवाग ने 73 और सचिन ने 111 रन ठोके थे। हालाँकि भारत यह मैच हार गया था लेकिन उनकी यह बल्लेबाजी ऑस्ट्रेलिया को परेशानी में डालने के लिए काफी है।

सहवाग टूर्नामेंट में पाँच मैचों में 65.40 के औसत और 125.28 के स्ट्राइक रेट से 327 रन और सचिन छह मैचों में 54.33 के औसत और 99.69 के स्ट्राइक रेट से 326 रन बना चुके हैं।

दूसरी तरफ ब्रेट ली छह मैचों में 15.83 के औसत से 12 विकेट और शॉन टैट इतने ही मैचों में 21.20 के औसत से दस विकेट ले चुके हैं। हालाँकि ब्रेट ली टेट के मुकाबले कहीं ज्यादा सटीक हैं जबकि टैट अपनी गति से बल्लेबाज को डराने की कोशिश करते हैं। लेकिन जब सामने सहवाग जैसा बेरहम बल्लेबाज और सचिन जैसा मंझा बल्लेबाज हो तो उन्हें किसी तरह की गेंदें डालकर नहीं डराया जा सकता है।

वर्ष 2003 के विश्वकप फाइनल में सचिन जल्दी आउट हो गए थे और फिर भारत उस झटके से उबर नहीं पाया था। लेकिन इस बार सचिन ऑस्ट्रेलिया को ऐसा कोई मौका नहीं देंगे। मुकाबला दो तूफानी गेंदबाजों और दो तूफानी बल्लेबाजों के बीच होगा। इनमें जो जीतेगा वही टीम सेमीफाइनल में चली जाएगी। (वार्ता)

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