भारत के 28 वर्ष बाद विश्व चैंपियन बनने से क्रिकेट के बेताज बादशाह सचिन तेंडुलकर का विश्वकप जीतने का सपना तो पूरा हुआ लेकिन वह कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी से बल्ले से निकला विजयी छक्का नहीं नहीं देख पाए थे।
सचिन दरअसल मैच के अंतिम क्षणों में ड्रेसिंग रूम के अंदर चले गए थे और आँखें मूँदकर टीम इंडिया की जीत के लिए दुआ कर रहे थे। स्टेडियम में दर्शकों के शोर से उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि उनका विश्वकप जीतने का सपना पूरा हो चुका है। यही वजह है कि सचिन धोनी के बल्ले से श्रीलंका के तेज गेंदबाज नुवान कुलशेखरा की गेंद पर निकला विजयी छक्का नहीं देख पाए थे।
मास्टर ब्लास्टर ने मैच के बाद एक अखबार से कहा 'मैं उस समय कुछ नहीं सुन रहा था और न ही मैच देख रहा था। मैं बस भगवान से भारत की जीत के लिए प्रार्थना कर रहा था। जब पूरा स्टेडियम शोर से गूँज उठा तब मुझे इस बात का एहसास हुआ कि हम जीत चुके हैं।'
सचिन ने इससे पहले पाँच बार विश्वकप में खेला था लेकिन टीम इंडिया को हर बार नाकामी मिली थी लेकिन इस बार भारत ने श्रीलंका को छह विकेट से हराकर विश्वकप जीता और आखिर सचिन का सपना गृहनगर मुंबई में उनके घरेलू स्टेडियम वानखेड़े में साकार हो गया।
सचिन ने कहा अपनी खुशी को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। मुझे लग रहा है कि मैं किसी और दुनिया में पहुँच गया हूँ। ऐसा लग रहा है कि मैं उड़ रहा हूँ। जीत के बाद सचिन ने जब टीम के बाकी खिलाड़ियों को गले लगाया तो वह अपने आँसू नहीं रोक पाए।
हर बड़ी उपलब्धि के बाद हमेशा की तरह अपने पिता को याद करते हुए सचिन ने कहा कि खुशी के आँसू भी होते हैं और अगर आज मेरे पिता जीवित होते तो वह बहुत खुश होते। वह हमेशा मेरी यादों में रहते हैं। (वार्ता)