सचिन और विश्वकप के बीच मुरली

गुरुवार, 31 मार्च 2011 (17:56 IST)
बल्लेबाजी के बेताज बादशाह मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर और गेंदबाजी के शिखर पुरुष मुथैया मुरलीधरन के बीच का मुकाबला भारत और श्रीलंका में यहाँ दो अप्रैल को वानखेड़े स्टेडियम में होने वाले विश्वकप फाइनल का सबसे बड़ा आकर्षण होगा।

सचिन जहाँ अपने घरेलू मैदान में विश्वकप जीतने का सपना पूरा करने उतरेंगे वहीं श्रीलंकाई खिलाड़ी अपने सबसे करिश्माई गेंदबाज को विश्वकप के रूप में बेशकीमती तोहफा देना चाहेंगे। मुरली विश्वकप के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से पूरी तरह संन्यास ले रहे हैं। टेस्ट क्रिकेट को पहले ही अलविदा कह चुके मुरली का यह आखिरी एकदिवसीय मैच होगा।

क्रिकेट के इन शिखर पुरुषों के नाम बल्लेबाजी और गेंदबाजी के लगभग सभी रिकॉर्ड दर्ज हैं। हालाँकि मुरली 1996 में विश्वकप जीतने वाली श्रीलंकाई टीम के सदस्य थे जबकि सचिन को एक अदद विश्वकप की तलाश है। भारत सेमीफाइनल में पाकिस्तान को और श्रीलंका न्यूजीलैंड को हराकर फाइनल में पहुँचा है।

सचिन के विश्वकप के सपने के रास्ते में यदि कोई बाधा बन सकता है तो वह सिर्फ मुरली ही हैं। हालाँकि मुरली का भारत में कोई बहुत शानदार रिकॉर्ड नहीं है लेकिन फाइनल जैसे बड़े मुकाबले में उनके जैसा बड़ा गेंदबाज हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रर्दशन करता है।

श्रीलंका हालाँकि मुरली की चोटों से चिंतित है और उसने मुरली के कवर के तौर पर ऑफ स्पिनर सूरज रणदीव को बुलाया है। मगर सेमीफाइनल से पहले भी यही कहा जा रहा था कि मुरली का खेलना संदिग्ध है लेकिन वह न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलने उतरे और उन्होंने दो विकेट लेकर अपनी टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

सचिन मौजूदा टूर्नामेंट में 464 रन बनाकर सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में दूसरे स्थान पर हैं। मास्टर ब्लास्टर को पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में चार जीवनदान मिले थे इसके बावजूद उन्होंने 85 रन की बेशकीमती पारी खेली और 'मैन ऑफ द मैच' बने।

क्रिकेट इतिहास के आँकड़ों को उठाकर देखें तो इन दोनों खिलाड़ियों के आसपास अन्य कोई खिलाड़ी नहीं है। सचिन 177 टेस्टों में 14692 रन और 452 वनडे में 18093 रन बना चुके हैं। उनके नाम 51 टेस्ट और 48 वनडे तक बनाने के विश्व रिकॉर्ड हैं। वह दोनों तरह की क्रिकेट में 99 शतक बना चुके हैं और शतकों का महाशतक बनाने से सिर्फ एक कदम दूर हैं।

दूसरी तरफ मुरलीधरन टेस्ट और वनडे दोनों तरह की क्रिकेट में सर्वाधिक विकेटों का रिकॉर्ड अपने नाम रखते हैं। मुरली ने 133 टेस्टों में 800 विकेट और 349 वनडे में 534 विकेट हासिल किए हैं। यानी जो काम बल्लेबाजी में सचिन ने किया है वही काम गेंदबाजी में मुरली ने किया है। मुरली ने सचिन को 46 मैचों में पांच बार आउट किया है।

मुरली का तो यह आखिरी वनडे है ही सचिन भी अपना आखिरी विश्वकप खेल रहे हैं। मास्टर ब्लास्टर के पास यह सुनहरा मौका है कि वह अपने घरेलू मैदान में विश्वकप जीतने का अपना सपना पूरा करें। वर्ष 1992 से लगातार छठा विश्वकप खेल रहे सचिन 2003 में फाइनल में भारत के ऑस्ट्रेलिया के हाथों हारने के कारण विश्वकप जीतने से चूक गए थे।

मगर मौजूदा विश्वकप में जिस तरह भारतीय टीम ने शानदार प्रर्दन करते हुए क्वार्टर फाइनल में गत चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को और सेमीफाइनल में चिरप्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को मात दी उससे यह उम्मीद बँधती है कि मुंबई में मास्टर ब्लास्टर का सपना सच हो जाएगा। (वार्ता)

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